
सूरत: “हर व्यक्ति प्रकृति को माँ समान माने, हर घर के आगे एक पेड़ हो, हर बच्चा कपड़े के थैले में ईको-फ्रेंडली लंचबॉक्स और पानी की बोतल रखता हो, हवा शुद्ध हो, पशु-पक्षी, जंगल, नदियाँ, पहाड़ प्रकृति की सुगंध से महकते हों” – ऐसी कल्पना तब ही साकार हो सकती है जब पर्यावरण संरक्षण हमारा स्वभाव, जीवनशैली, संस्कृति और उत्सव बन जाए।
लोग सार्वजनिक स्थानों पर कचरा न फेंके, बल्कि उसे रीसायक्लिंग प्वाइंट पर डालें। प्लास्टिक की जगह मिट्टी के बर्तन, कपड़े के थैले और ईको-फ्रेंडली वस्तुओं का प्रयोग करें।
विश्व पर्यावरण दिवस 2025 की थीम है – ‘वैश्विक स्तर पर प्लास्टिक प्रदूषण का अंत’।
आज पूरी दुनिया पर्यावरण संरक्षण और प्लास्टिक कचरे के नियंत्रण की गंभीर आवश्यकता अनुभव कर रही है। इस दिशा में सूरत शहर प्लास्टिक मुक्त बनने की ओर अग्रसर है।
जनभागीदारी से 5R सिद्धांतों को अपनाते हुए सूरत शहर ने पूरे देश में प्रथम स्थान हासिल किया है। Refuse, Reduce, Repair, Recycle और Reuse के इन सिद्धांतों के तहत शहर ने पर्यावरण सुरक्षा की दिशा में अपनी रफ्तार तेज कर दी है।
प्लास्टिक कचरे को पुनर्चक्रण के माध्यम से बना नवाचार का साधन
प्लास्टिक आज घरों की वस्तुओं से लेकर औद्योगिक उत्पादों तक हर जगह उपयोग होता है। जब प्लास्टिक कचरे के रूप में फेंका जाता है, तब इसके विघटन में 400 से 1000 वर्षों तक का समय लग सकता है। जीव-जंतुओं और पर्यावरण को गंभीर हानि पहुँचाने वाले प्लास्टिक के निपटारे के लिए रीसायक्लिंग एक अनिवार्य समाधान बन गया है।
सूरत महानगर पालिका द्वारा 225+ मीट्रिक टन प्लास्टिक को रीसायक्ल करके अडाजन, पिपलोड, वराछा, उधना, कतारगाम समेत कुल 29 स्थानों पर 38 किलोमीटर लंबी सड़कें बनाई गई हैं।पिछले 8 वर्षों में सूरत नगर निगम ने लगभग 6 लाख मीट्रिक टन प्लास्टिक को रीसायक्ल करके सड़कों के निर्माण में उपयोग किया है।
ड्रेनेज और सॉलिड वेस्ट विभाग के कार्यपालक इंजीनियर राकेश मोदी ने बताया सूरत नगर निगम केंद्र सरकार के प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट रूल्स-2016 और PPP मॉडल के तहत जुलाई 2017 से प्लास्टिक प्रोसेसिंग का कार्य कर रही है। नगर निगम के 8 रिफ्यूज़ ट्रांसफर स्टेशनों से प्रतिदिन लगभग 200 टन प्लास्टिक अलग कर रीसायक्ल किया जाता है। EPR (Extended Producer Responsibility) के अंतर्गत सूरत सुमुल डेयरी के साथ समझौता कर प्रतिदिन लगभग 1.5 लाख दूध की प्लास्टिक थैलियों को एकत्र कर प्रोसेस किया जाता है।
राकेश मोदी ने आगे बताया “प्लास्टिक एक नॉन-बायोडिग्रेडेबल (Non-Degradable) पदार्थ है, जो हजारों वर्षों तक नष्ट नहीं होता। इससे वायु, जल और भूमि अत्यधिक प्रदूषित होती है। भटार क्षेत्र में प्रतिदिन 200 टन प्लास्टिक प्रोसेस कर उसे पेलेट्स (प्लास्टिक दाने) में बदला जाता है, जिनसे बेंच, टाइल्स, ईंटें, कुर्सियाँ और प्लास्टिक की सड़कें बनाई जाती हैं। प्लास्टिक के नष्ट न होने के कारण प्लास्टिक सड़कें बनाकर पर्यावरण प्रदूषण को रोकने का प्रयास किया जा रहा है। नागरिक जब प्लास्टिक को जलाते हैं, तो उससे रासायनिक धुआँ निकलता है, जिससे वायु, जल और भूमि प्रदूषण होता है।”
प्लास्टिक रीसायक्लिंग क्या है?
प्लास्टिक रीसायक्लिंग एक प्रक्रिया है, जिसमें प्रयुक्त या फेंकी गई प्लास्टिक को फिर से उपयोग योग्य बनाया जाता है। रीसायक्ल किए गए प्लास्टिक का उपयोग नई वस्तुएँ बनाने में किया जाता है जैसे कि प्लास्टिक की बोतलें, पाइप, फर्नीचर और सड़कें।
5R सिद्धांत आधारित प्रबंधन
सूरत शहर ने कचरा प्रबंधन के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्य 5R सिद्धांतों –
Refuse (अस्वीकार करना), Reduce (घटाना), Reuse (फिर से उपयोग), Repair (मरम्मत) और Recycle (पुनर्चक्रण) – को लागू किया है। इस सिद्धांत के अनुसार न केवल प्लास्टिक उपयोग को घटाया गया है, बल्कि उपयोग में लाई गई प्लास्टिक का उचित रीसायक्लिंग कर उसका दोबारा उपयोग सुनिश्चित किया गया है।
प्लास्टिक नष्ट क्यों नहीं होता?
प्लास्टिक एक मानव निर्मित पदार्थ है, जो पेट्रोलियम आधारित रासायनिक तत्वों से बना होता है। इसमें अत्यंत मजबूत रासायनिक बंधन होते हैं, जो प्राकृतिक रूप से आसानी से नहीं टूटते।
सामान्यतः प्लास्टिक के विघटन में 400 से 1000 वर्ष तक का समय लग सकता है।