सूरत

MSME से सहमे कपड़ा संगठनों की दिल्ली दौड़

MSME को लेकर वित्त मंत्री से लगाएंगे गुहार

सूरत। आयकर अधिनियम धारा 43B में संशोधन के तहत, वित्तीय वर्ष 2023-2024 से स्मॉल और माइक्रो इंटरप्राइजेज (MSME) को समय पर भुगतान करने का नया नियम लागू हो चूका है। नए संशोधन 43B(H) के तहत यदि आपने MSME सप्लायर से माल खरीदा है या सर्विसेज ली है, तो इस नियम के तहत आपको उनके साथ पेमेंट एग्रीमेंट करने का प्लान अनिवार्य रूप से करना होगा जो अधिकतम 45 दिन होगा।

इस संशोधन के तहत अगर हम सरलता से समझे तो 31 मार्च 2024 की बेलेंस शीट में लेनदार अगर 15 फरवरी से पुराने है तो वो आपकी आय में जुड़ जाएंगे तथा उस पर आयकर लगेगा।

हालांकि यह संशोधन गतवर्ष आ गया था लेकिन जैसे जैसे वित्तीय वर्ष समाप्ति की ओर है वैसे वैसे इसको लेकर व्यापारियों में चिंता बढ़ रही है। जितने भी लघु तथा मध्यम श्रेणी के व्यापारी है उनसे लोग माल नही ले रहे है तथा जो भुगतान बाकी है वो भी जल्दी जल्दी निपटा रहे है अथवा कुछ लोग माल वापसी भी कर रहे है।

वैसे देखा जाए तो एक प्रकार से यह पेमेंट को सुचारू तथा समय पर करवाने तथा पूंजी को ज्यादा रोटेशन में लाने के लिए उत्तम है लेकिन इसका फायदा बड़े व्यापारी जिनका टर्नओवर सालाना 50 करोड़ से अधिक है वो उठा रहे है। इस संशोधन को बड़े व्यापारी अवसर के रूप में देख रहे है जिसका इस्तेमाल वह लोग छोटे तथा मंझले व्यापारी के व्यापार को खत्म करने के लिये कर रहे है।

50 करोड़ से अधिक टर्नओवर वाले व्यापारी ग्राहकों को यह मैसेज भेज रहे है कि हमारा भुगतान का सिस्टम वैसे ही रहेगा जैसे पहले था, मतलब की वो उधारी देने का लुभावना ऑफर सभी को दे रहे है। चूंकि कपड़ा व्यापार क्रेडिट पर ही अधिक संचालित हो रहा है इसलिए छोटे व्यापारियों के लिए अभी असमंजस की स्थिति बनी हुई है।

फेडरेशन ऑफ सूरत टेक्सटाइल ट्रेडर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष कैलाश हाकीम ने कहा कि टेक्सटाइल इंडस्ट्री के सामने बहुत बड़ा सवाल खड़ा हो गया है। नए नियम से एमएसएमई उद्योग सीधे तौर पर प्रभावित होंगे। वित्त मंत्री से मिलकर हम कपड़ा व्यापारियो की बात रखेंगे।

सूरत कपड़ा बाजार की संस्था टेक्सटाईल युवा ब्रिगेड के अध्यक्ष ललित शर्मा ने बताया कि इस सेक्शन 43(B) के संशोधन (H) के बाद वर्तमान में सूरत कपड़ा बाजार में ग्राहकी कम हो गई है है तथा व्यापारियों में भय तथा असमंजसता की स्थिति बनी हुई है। हम केंद्र सरकार के वित्त मंत्रालय से यह आग्रह करते है कि इस वित्तीय वर्ष के लिए इस प्रावधान पर रोक लगा दी जाए तथा व्यापार सुगमता से हो सके। चूंकि यह अमेंडमेंट सम्पूर्ण सूक्ष्म तथा लघु उद्योग जगत को प्रभावित करने वाला है अतः इसको एक बार पुनः विचार करके परिष्कृत रूप से व्यापारियों के साथ सलाह मशविरा करके लागू किया जाए जिससे कि छोटे व्यापारियों को अनायास ही होने वाले नुकसान से बचाया जा सके तथा व्यापार में छोटे बड़े के वर्ग विभेद को रोका जा सके।

सेवा फाउंडेशन ने टेक्सटाईल क्षेत्र के एसोसिएशनों से वार्तालाप किया 

सभी मंडियों के टेक्सटाईल व्यापारी इस प्रावधान से स्वयं को असमंजस एवं असहाय महसूस कर रहे है। लगभग सभी का मानना है कि इस प्रावधान के विपरीत परिणामो से कपड़ा व्यवसाय अस्तव्यस्त हो जाएगा।

इस प्रावधान के कारण अनावश्यक आयकर के विवाद बढ़ जाएंगे तथा प्रतिस्पर्धा के इस युग मे व्यापार भी बुरी तरीके से प्रभावित होगा। जब तक इस पर मंथन न कर लिया जाए तथा व्यापारी एसोसिएशन्स के मन्तव्य न जान लिया जाए तब तक इसे थोपा न जाये।

इस सम्बंध में सेवा फाउंडेशन ने भारत भर के कई व्यापारिक तथा औधोगिक संघठनो से परिचर्चा की गई जिसमें दिल्ली हिंदुस्तान मर्केंटाइल एसोसिएशन, कोलकत्ता चेम्बर ऑफ कॉमर्स, कानपुर कपड़ा कमेटी, गोरखपुर कपड़ा कमेटी, आगरा क्लॉथ मर्केंटाइल असोसिएशन, मस्कति महाजन अहमदाबाद, बुराहनपुर टेक्सटाईल ट्रेडर्स असोसिएशन, बैरागढ़ थोक वस्त्र विक्रेता संघ, लघु उद्योग मण्डल जसोल, झांसी थोक व्यापार मंडल, कटनी थोक विक्रेता संघ आदि के अलावा अन्य भी कई संघठन शामिल है। सभी ने अपने स्थानीय स्तर पर जनप्रतिनिधियों एवम अधिकारियों से इस विषय मे वार्तालाप करने के बारे में बताया।

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