
सूरत में स्तन कैंसर अवेयरनेस कार्यक्रम में “कैंसर में आशा की किरण” पुस्तक का विमोचन
सिनियर मेडिकल ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ. कौशल पटेल द्वारा लिखित “कैंसर में आशा की किरण” पुस्तक
सूरत : अक्टूबर माह को हम “ स्तन कैंसर अवेरनेस” माह के रूप में मनाते हैं। इसी के तहत आज सूरत शहर में स्तन कैंसर अवेरनेस कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें “कैंसर में आशा की किरण” पुस्तक का विमोचन किया गया। यह पुस्तक गुजराती भाषा में तैयार की गई है। इस विमोचन कार्यक्रम में डॉक्टरों के साथ-साथ कैंसर सर्वाइवर और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भी उपस्थिति दर्ज कराई। इस मौके पर एलीट हेमेट ऑन्को केयर सेंटर के डॉ. कौशल पटेल ने बताया कि महिलाओं में सबसे सामान्य कैंसर के खिलाफ लड़ाई में समय पर निदान और भरोसेमंद जानकारी की तुरंत आवश्यकता है।
इस कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण एलीट हेमेट ऑन्को केयर सेंटर के सिनियर मेडिकल ओन्कोलोजिस्ट डॉ. कौशल पटेल द्वारा लिखित “कैंसर में आशा की किरण” पुस्तक का औपचारिक विमोचन था। यह पुस्तक सरल गुजराती भाषा में तैयार कीया गया है और मरीजों, परिवारों तथा व्यापक समाज के लिए व्यावहारिक मार्गदर्शिका के रूप में बनाई गई है। इसमें विभिन्न प्रकार के कैंसर, उनके लक्षण, कारण और जोखिम कारकों की जानकारी दी गई है। साथ ही जीवनशैली की आदतें, आहार, जांच, उपचार के विकल्प और भावनात्मक सहयोग पर भी सलाह दी गई है। इसमें कैंसर को मात देने वाले लोगों की वास्तविक कहानियां भी शामिल हैं, ताकि पाठकों में आत्मविश्वास और प्रेरणा जागृत हो। इस पुस्तक का संपादन डॉ. क्रीना पटेल ने बेहतरीन ढंग से किया है।
विमोचन समारोह में बोलते हुए डॉ. कौशल पटेल ने कहा, “कैंसर शब्द अक्सर भय पैदा करता है। लेकिन, समय पर निदान, सही जानकारी और सकारात्मक दृष्टिकोण से इस रोग को हराना संभव है। इस पुस्तक के माध्यम से मेरा प्रयास मरीजों और उनके परिवारों को आत्मविश्वास और साहस देने वाला एक साधन प्रदान करना है।”
कार्यक्रम में मौजूद डॉक्टरों ने अपने विचार प्रस्तुत करते हुए कहा कि यदि समय पर निदान हो तो ब्रेस्ट कैंसर को जड़ से मिटाया जा सकता है। लेकिन भय, गलत जानकारी और जागरूकता की कमी के कारण महिलाएं तब ही डॉक्टर की मदद लेती हैं जब गांठ बढ़ जाती है। डॉक्टरों ने महिलाओं से नियमित स्व-परीक्षण करने, मैमोग्राफी कराने, संतुलित आहार लेने, नियमित व्यायाम करने और तंबाकू व शराब जैसे नशे से दूर रहने की अपील की। उन्होंने कहा कि भावनात्मक और पारिवारिक सहयोग भी चिकित्सा उपचार जितना ही महत्वपूर्ण है।
इस कार्यक्रम का उद्देश्य जागरूकता, जांच और उपचार का संदेश फैलाना था। डॉक्टरों ने विशेष रूप से बताया कि यदि लक्षणों को समय रहते पहचानकर बिना देर किए कदम उठाए जाएं, तो कई लोगों की जान बचाई जा सकती है।



