लोकसभा चुनावी जंग के छह चरण पूरे हो चुके हैं। अब सातवें और अंतिम चरण का मतदान होगा। देश में हरियाणा दंगल और कुश्ती के लिए जाना जाता है, लेकिन इस बार सियासी दंगल दिलचस्प हो गई है। क्योंकि छठे चरण का मतदान हो चुका है इसके बावजूद यहां सियासी गणित समझ के परे है। कहा जाता है कि इस राज्य सरकार में जिस भी पार्टी की सरकार होती है, वहीं पार्टी केंद्र सरकार सत्ता में आ जाती है। 2019 में यहां की सभी 10 सीटे बीजेपी ने जीती थी। लेकिन बार का पिक्चर कुछ अलग ही है। जिससे बीजेपी इस बार कितनी सीट जीतेंगे इस पर सबकी निगाहे टिकी हुई है।
हरियाणा के बदले समीकरण
लोकसभा चुनाव से ठीक पहले हरियाणा में बड़ा राजनीतिक बदलाव हुआ है। इसमें गठबंधन टूटने के साथ साथ सरकार का स्वरूप भी बदला गया। इस सियासी उठापटक में बीजेपी और जेजेपी का गठबंधन टूट गया। बीजेपी ने मनोहर लाल खट्टर को मुख्यमंत्री पद से हटा दिया था। उनकी जगह नायब सिंह सैनी को सीएम बनाया गया। इसके अलावा दुष्यंत सिंह चौटाला से भी नाता टूट गया। इसके चलते बीजेपी ने लोकसभा की 10 सीटों पर अकेले अपने उम्मीदवार उतारकर चुनाव जीतने की योजना बनाई। वहीं कांग्रेस और जेजेपी ने भी चुनावी जंग में अपने उम्मीदवार उतारे है।
हरियाणा की 10 सीटों पर 16 महिलाओं समेत 223 उम्मीदवार मैदान में
हरियाणा में आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बीच गठबंधन है। ऐसे में सवाल ये है कि 2019 में बीजेपी को जो जनादेश और राजनीतिक समर्थन मिला था, क्या इस बार उसका असर देखने को मिलेगा। इसके अलावा राज्य के बदले समीकरणों से बीजेपी को फायदा होगा या कांग्रेस इसका फायदा उठा ले जाएगी। इस बार हरियाणा की 10 सीटों पर 16 महिलाओं समेत 223 उम्मीदवार मैदान में थे। इसमें कांग्रेस निर्दलीय और AAP के साथ I.N.D.I.A. गठबंधन के तहत प्रत्याशी उतारे गये।