सूरत

कवि सम्मेलन: देशभर से आए कवियों की रचनाओं से गुंजा रामलीला मैदान

कवियों ने देशभक्ति से ओतप्रोत रचनाएं सुना कर भरा जोश

सूरत। श्री आदर्श रामलीला ट्रस्ट के तत्वाधान में कवि सम्मेलन का आयोजन वेसू स्थित रामलीला मैदान में किया गया। देश के विभिन्न हिस्सों से आए कवि ने कवि सम्मेलन में अपनी रचनाओं की प्रस्तुति दी।

कार्यक्रम में ट्रस्ट के मंत्री अनिल अग्रवाल और पदाधिकारियों ने आए कवियों का स्वागत किया। शनिवार की शाम रिमझिम फुहारों के बाद जब मौसम सुहावना हो गया तो कवियों की महफिल और उनकी रचनाओं ने इसमें चार चांद लगा दिया।

बता दें कि अनिल अग्रवंशी (हास्य-व्यंग्य) दिल्ली, सुरेन्द्र यादवेन्द्र (हास्य-व्यंग्य) कोटा, सुमित ओरछा (मंच संचालक) ओरछा, दिनेश देशी घी (हास्य-गीत) मंदसौर, सुमित्रा सरल (गीत-ग़ज़ल) रतलाम ने इस कवि सम्मेलन की शोभा बढ़ाई।

सुमित्रा सरल ने सरस्वती वंदे शारदे, जगमग जग कर दे…गायन की शुरुआत कर कवि सम्मेलन की शुरुआत की और इतने पूरे रामलीला मैदान में शांति का माहौल बना रहा और लोगों ने मां शारदे को नमन करने के बाद एक एक कर सभी कवि की प्रस्तुति पर जमकर तालियां बजाई। कवि सम्मेलन में शहर के कई गणमान्य लोग उपस्थित रहे।

दिल्ली से पहुंचे हास्य – व्यंग कवी अनिल अग्रवंशी अपने अंदाज में अनेक फुलझडियां छोड़ी और उनकी कविता हंसना हंसाना आदत है मेरी,अपना बनाना आदत है मेरी। लोग तो मुंह फेर के चल देते है, आवाज देके बुलाना आदत है मेरी।।

सुरेन्द्र यादवेन्द्र (हास्य-व्यंग्य) ने एक बंदे ने, अक्ल के अंधे ने इंटरनेट पर लड़की पटाई, नेट पर ही सगाई नेट पर ही शादी, नेट पर डिवोर्स हो गया। लड़का लड़की दोनों खुश, कि चलो इंटरनेट का कोर्स ही हो गया।। रचना सुनाई।

दिनेश देशी घी (हास्य-गीत) मंदसौर ने मां पर रचना सुनाई, मां, महात्मा और परमात्मा इन तीनों की महिमा न्यारी है पर इन तीनों में मां सबसे भारी है।।

सुमित्रा सरल (गीत-ग़ज़ल) रतलाम ने मेरे मंदिर में न जाने का सबब सखियों से क्या बोलूं। मैं छत पर शाम को अपना कन्हैया देखी थी।।

सुमित ओरछा (मंच संचालक) ओरछा ने, इसलिए हे राम के बेटो, कर्म के पथ को अपनाओ। राम स्वयं है रूप धर्म का, धर्म के पथ को अपनाओ। वरना धर्म भी जीवन में सिर्फ कष्ट भर देता हैं। जो धर्म नष्ट करता है, उसको धर्म नष्ट कर देता है।। सुनाया।

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