धर्म- समाज

जीवन का महान कलाकार सदगुरू

कांतिलाल मांडोत
अंधकार का नाश कर प्रकाश की और ले जाने वाला ,जो प्रकाश की और ले जाये वही गुरु है।अंधेरे में तो हम है ही,इसलिए तो कहते है कि गुरु सच्चा पथ प्रदर्शक है। वह भूले भटके और गुमराही इंसानों को मार्ग प्रर्दशित करता है।हताश और निराश व्यक्तियों को प्रेरणा देता है। कुमार्ग से हटाकर सुमार्ग पर लाता है। वह मोहमाया और मिथ्यात्व के कुहरे से हटाकर के जगमगाते प्रकाश में लाकर खड़ा कर देता है। जो अज्ञान रूपी अंधकार का नाश करता है,,वह गुरु है।गुरु हमे ज्ञान की चिंगारी देते है।
गुरु एक सफल कलाकार है। जैसे  कलाकार एक अनगढ़ पत्थर को छैनी हथौड़े और अपनी कला से ऐसी सुंदर आकृति करता है,जिसमे जीवन का साकार रूप झांकता हुआ प्रतीत होता है। वैसे ही सद्गुरु असंस्कारी आत्मा को  संस्कारी बना देता है ।अनंतकाल से सोई हुई आत्मा को जगा देता है।गुरु  जीवन रूपी ट्रैन का स्टेशन है। ट्रेन यदि स्टेशन पर रुकती है वहाँ उसे कोई खतरा पैदा नही होता ,उसमें खराबी  पैदा हो गई है  वह वहा दुरुस्त हो जाती है। वहाँ उसे पानी मिलता है।रोशनी मिलती है। जीवन रूपी ट्रेन को भी सदगुरू रूपी  स्टेशन पर रोकिए । वहां विवेक रूपी रोशनी प्राप्त होगी,ज्ञान का निर्मल नीर प्राप्त होगा और जीवन मे खराबी पैदा हो गई उसे सुधारा जा सकता है।
हाल ही में योगगुरु बाबा रामदेव ने एलोपैथी दवाओं को  बिन असरदार बताकर अपना हित साधने का प्रयास किया,लेंकिन उनके गलत बयान से स्वास्थ्य इंडियन मेडिकल  एसोसिएशन खफा हो गया है। बाबा रामदेव पर 1897 के अंतर्गत केस  दर्ज करने की मांग केंद्र सरकार से की है। करोड़ो लोगो मे भय फैलाने और एलोपैथी दवाओं के बारे में भ्रामक बाते फैलाना से लोग आहत हुए है।बाबा रामदेव योगगुरु है। लेकिन बाते वैज्ञानिको की करते है।बाबा रामदेव ने एलोपैथी विज्ञान में विरूद्ध देश मे भय फैलाकर दवाइयों पर  टिप्पणी की गई  थी कि आधुनिक एलोपैथी मूर्ख और दिवालिया विज्ञान है।
पहले क्लोरोक्वीन फैल हुई, फिर रेडमिसिविर, एन्टी बायोटिक व स्टेटाइजड़ दवाइयां फैल हो गई है। यहाँ तक लाखो लोगो की मौत एलोपैथी से हुई है। इस तरह से सिस्टम के खिलाफ टिप्पणी करना कहा तक उचित है। धर्म का सहारा लेकर देश की जनता को स्वास्थ्य संबंधी  दवाइयों पर गलत टिप्पणी कर भय पैदा करने वाले बाबा रामदेव के लिए शुभ संकेत नही है।
बाबा एक योगगुरु है। देश में लाखो करोड़ो लोग इनके योग के कायल है।बाबा रामदेव के शिविर में योग सीखने स्त्री पुरुषों की भीड़ लगती है।विदेश में भी बाबा के योग की चर्चा है।प्रतिष्ठत संस्था पतंजलि की प्रोडक्ट देश के हर गांव ढाणी में मिलती है।करोड़ो अरबो का व्यवसाय बाबा की पतंजलि  संस्था कर  रही है। दरअसल,केंद्र सरकार को करोड़ों का राजस्व भी मिलता है।लेकिन बाबा की एलोपैथी को कारगर चिकित्सा पद्धति नही बता कर स्वार्थ भावना प्रदर्शित की है।देश की जनता  बाबा  रामदेव को सद्गुरु के रूप में देखना चाहती है।सत्य को बिना देखे रहे तो यह जीवन की बिडम्बना है । यह तो मनुष्य जीवन का मजाक है।

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