
SIDS अस्पातल डॉक्टरों ने मस्तिष्क की गंभीर बीमारी से पीड़ित बच्ची की बचाई जान
करीब 10 घंटे की मैराथन सफल सर्जरी के बाद आज वह अच्छे से चल-फिर और बोल रही हैं
सूरत। बिलीमोरा की रहने वाली 10 साल की बच्ची लगातार सिर और पैरों में दर्द की शिकायत कर रही थी। उसे बोलने में भी कठिनाई हो रही थी और कुछ समय के लिए कभी-कभी दौरे भी पड़ते थे। अस्पताल लाए जाने के बाद सूरत के सीडस हॉस्पिटल के न्यूरोसर्जन डॉ. निसर्ग परमार ने बारीकी से जांच करने पर पाया कि बच्ची मस्तिष्क रोग से पीड़ित थी। यह एक अनोखी बीमारी है। कुछ लोगों में ऐसा मामला देखने को मिलता है।
डॉ. परमार ने पत्रकारों को इस अनोखे मामले की जानकारी देते हुए बताया कि इस बीमारी में अगर किसी भी कारण से मरीज के मस्तिष्क तक रक्त पहुंचाने वाली नसों के नेटवर्क में रुकावट आ जाती है, तो मस्तिष्क तक पर्याप्त रक्त आपूर्ति न हो पाने के कारण मरीज को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। जैसे ऐंठन, अस्पष्ट वाणी, शरीर मे लकवा आदी और कुछ मामलों में रोगी की मृत्यु भी हो सकती है। ऐसे में मस्तिष्क का ऑपरेशन कर दबी नस दब हो वहां बाईपास सर्जरी द्वारा मस्तिष्क को रक्त आपूर्ति करने वाली मुख्य नस से जोड़कर रक्त आपूर्ति बहाल की जाती है। यह सर्जरी बहुत जटिल और नाजुक होती है लेकिन डॉक्टर की उन्नत चिकित्सा प्रौद्योगिकी कौशल और सर्वोत्तम चिकित्सा उपकरणों के कारण मरीज की जान बचाई जा सकती है।
पहले, मरीज और उसके रिश्तेदारों को ऐसी सर्जरी के लिए मुंबई या दिल्ली जाना पड़ता था, जिसके परिणामस्वरूप भारी वित्तीय, मानसिक और शारीरिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता था। लेकिन SIDS में उपलब्ध उपरोक्त सभी सुविधाओं और विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम से मरीजों को बड़ी राहत मिली है।
न्यूरो सर्जन डॉ. निसर्ग परमार ने उनकी रिपोर्ट देखने के बाद सर्जरी की योजना बनाई। अस्पताल में एक सुसज्जित ऑपरेशन थिएटर, चार कुशल डॉक्टरों की एक टीम और एक सहायक ओटी है। स्टाफ की मदद से करीब 10 घंटे की मैराथन सफल सर्जरी के बाद आज वह अच्छे से चल-फिर रही हैं और बोल रही हैं, दौरे बंद हो गए हैं और वह पूरी तरह स्वस्थ हैं।