सूरत

SGCCI ने हेवी इंडस्ट्रीज मंत्री से टेक्सटाइल मशीनरी से क्यूसीओ हटाने की लगाई गुहार

उद्यमियों ने हाल ही में लेटर ऑफ क्रेडिट खोले हैं तथा वीविंग और एम्ब्रोयडरी मशीनें बुक की हैं

सूरत। द सदर्न गुजरात चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के नवनिर्वाचित उपाध्यक्ष अशोक जीरावाला और पूर्व अध्यक्ष आशीष गुजराती के अलावा फिक्की, एसोचेम, जीसीसीआई और अन्य औद्योगिक संगठनों ने भारत के हेवी इंडस्ट्रीज मंत्री एच.डी. कुमारस्वामी और संयुक्त सचिव विजय मित्तल को टेक्सटाइल मशीनरी से क्यूसीओ हटाने की मांग की है।

एसजीसीसीआई के प्रतिनिधियों ने मांग की हे कि टेक्सटाइल मार्केट का वर्तमान आकार 165 बिलियन डॉलर है, जिसे 2030 तक 350 बिलियन डॉलर तक पहुंचने के लिए 4 लाख 50 हजार हाई-स्पीड वीविंग मशीनों की आवश्यकता होगी। इसके लिए इस मशीनरी में 15 बिलियन डॉलर के निवेश की आवश्यकता है। इसलिए चैंबर ऑफ कॉमर्स ने भारत में निर्मित नहीं होने वाली टेक्सटाइल मशीनरी की एक सूची तैयार की है, जिसे भारत के हेवी इंडस्ट्रीज मंत्री एच.डी. कुमारस्वामी और संयुक्त सचिव विजय मित्तल को सौंपा गया। चैंबर ने मंत्री को बताया कि उपयोगकर्ता उद्योग से परामर्श करके टेक्सटाइल मशीनरी पर क्यूसीओ पर पुनर्विचार करने की आवश्यकता है।

एम्ब्रोयडरी मशीनरी से भी क्यूसीओ हटाने की मांग

चैंबर के नव-उपाध्यक्ष अशोक जीरावाला ने बताया कि एम्ब्रोयडरी इंडस्ट्री में एक इकाई में चार से पांच एम्ब्रोयडरी मशीनें होती हैं। हर दो या तीन साल में एम्ब्रोयडरी में नई तकनीक आ जाती है, जिससे पुरानी मशीनरी हटाकर नई लगानी पड़ती है, लेकिन यह मशीनरी भी भारत में नहीं बनती, उसके लिए भी आयात पर निर्भर रहना पड़ता है, इसलिए एम्ब्रोयडरी मशीनरी से भी क्यूसीओ हटाने का प्रस्ताव रखा गया।

टेक्सटाइल मंत्रालय यूजर इंडस्ट्रीज का पक्ष सुनेगा

जीसीसीआई के प्रतिनिधियों ने बताया कि उद्यमियों ने हाल ही में लेटर ऑफ क्रेडिट खोले हैं तथा वीविंग और एम्ब्रोयडरी मशीनें बुक की हैं। इस मशीन की डिलीवरी यदि 28 अगस्त 2025 के बाद आती है तो उद्यमियों का पैसा रुक जाएगा और मशीन की डिलीवरी पोर्ट पर क्लियर नहीं हो पाएगी। एक ओर उद्यमियों का पैसा फंस जाता है। दूसरी ओर, बैंक नई वीविंग परियोजनाओं को वित्तपोषित नहीं करता है। क्योंकि आधुनिक वीविंग मशीनरी भी आयात करनी पड़ती है। इसलिए, उपयोगकर्ता उद्योग के साथ टेक्सटाइल मशीनरी पर क्यूसीओ पर फिर से चर्चा करने की मांग की है।

भारत के हेवी इंडस्ट्रीज मंत्री और संयुक्त सचिव के समक्ष प्रस्तुतीकरण को उनकी ओर से सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली। उन्होंने कहा कि भारतीय टेक्सटाइल मंत्रालय द्वारा उपयोगकर्ता उद्योग का पक्ष सुना जाएगा और उसके बाद इस मामले में आगे निर्णय लिया जाएगा।

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