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छोटे बच्चे भी पर्यावरण के प्रति जागरूक, दिव्या लोढ़ा ने अपने जन्म दिन पर पर्यावरण का दिया संदेश

उदयपुर( कांतिलाल मांडोत)  आज के परिपेक्ष्य में बच्चे जिस दुनिया मे आंख खोल रहे है वह पूरी तरह विज्ञानमय और चूमोतीपूर्ण है। पर्यावरण की शिक्षा की जगह हम बच्चो को विज्ञान की और अग्रसर कर रहे है। हम अपने बच्चो को पर्यावरण और प्रकृति के नैसर्गिक सौंदर्य का अनुभव ही नही होने दे रहे है। पर्यावरण के अभाव में हमारा जीवन दु:खमय हो चला है। बच्चों का मन सपाट होता है।अपने परिवेश में जो कोई देखते सुनते है। उसके मन मे अंकित हो जाता है। जब बच्चों को उनके मिलने वाले सवालों के जवाबो में तथ्यों व तर्क का अभाव होता है तो उसमें अंधविश्वास पैदा हो जाता है। हमे प्रकृति विचरण के नियमित कार्यक्रम बच्चों के उनकी जिज्ञासाओं के अनुरूप दिया जाना चाहिए।

पर्यावरण की सरंक्षण के लिए बढ़े तो क्या बच्चों के मन मे भी एक प्रकार की जिज्ञासा को जन्म दिया है। हम बच्चो को कुछ भी नही बताए,लेकिन आज की जनरेशन जटिल मसलो पर बातचीत करने के लिए हर समय तैयार रहती है। बच्चे अपने जीवन के अहम हिस्से को पर्यावरण से जोडक़र लोगो को पर्यावरण बचाने की सिख दे रहे है। पर्यावरण को नही बचाया गया तो प्राकृतिक आपदा जैसे भूकम्प,अतिवृष्टि का प्रकोप बढ़ता रहेगा। शहरों में गगनचुंबी इमारतों से ढकी गलियों में कहीं पर भी वृक्षों की एक डाली भी नही मिलती है। अपनी सुख सुविधाओं के लिए प्रकृति से खिलवाड़ करते है। यह सुखी मानव जीवन पर एक अभिशाप है।

पर्यावरण के लिए गंभीर गोगुन्दा की एक बालिका दिव्या लोढ़ा ने अपना जन्म दिन चार दिवारी में नही मनाया। अपने परिवार ,मम्मी पापा के साथ केक काटकर या अपनी सहेलियों से जन्म दिन पर उपहार लेकर नही मनाया।उसने घर से बाहर आकर पौधरोपण करके पर्यावरण का देश को संदेश दिया। प्रकृति कहती है आज मुझे तुम बचा लो कल में पूरी मानव जाति को बचा लूंगी। ऐसा ही अब गोगुन्दा के छोटे बच्चे भी उदाहरण पेश करते नजर आ रहे है।

बुधवार को दिव्या लोढ़ा ने अपने चौदहवे जन्मदिन को कुछ अलग तरीके से मनाने का सोचा और मजावडी के बालिका औषधीय वन में 14औषधीय पौधे लगाए। इसी के साथ गायों को हरा चारा खिलाकर खुशी महसूस की। दिव्या ने बताया कि सभी लोगो को अपने जन्मदिन वृक्षारोपण कर और साथ ही प्रण लेना चाहिए की एक पौधा हर खास अवसर पर जरूर लगाना चाहिए। इस दौरान बालिका वन के संरक्षक कपिल देव पालीवाल ने दिव्या को धन्यवाद दिया कि उसने छोटी उम्र में ही पर्यावरण के महत्व को समझ लिया है।

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