
आखिरकार सूरत की स्कूलों में रामनाम का प्रचार करने की मंजूरी क्यों रद्द करनी पड़ी? जानें पूरा माजरा
समिति संचालित 350 से ज्यादा स्कूल है, जिसमें 28 उर्दू माध्यम और कुछ अल्पसंख्यक इलाके में है।
सूरत। मनपा संचालित नगर प्राथमिक शिक्षण समिति की सभी स्कूलों में रामनाम का प्रचार शुरू किया गया था। रामद्वारा ( जगतपाल ) जलगांव संस्था के सूरत के रश्मिबेन कंचन लाड द्वारा हर स्कूलों में रामनाम का प्रवचन के लिए मंजूरी मांगी गई थी। समिति के अध्यक्ष धनेश शाह के अहवाल के अनुसंधान में जारी किए गए अधिसूचना में कहा गया था कि 1 दिसंबर 2023 से एक साल के लिए नगर प्राथमिक शिक्षण समिति सूरत के सभी स्कूलों में छात्रों को रामनाम का प्रचार करने के लिए 10 से 15 मिनट के लिए हर स्कूल में रामनाम का प्रवचन की मंजूरी दी गई है।
गौरतलब है कि समिति संचालित 350 से ज्यादा स्कूल है। जिसमें 28 उर्दू माध्यम और कुछ स्कूल अल्पसंख्यक इलाके में है। जिससे इन स्कूलों में रामनाम का प्रचार विवादित बना था। लेकिन उर्दू माध्यम की और अल्पसंख्यक इलाके में स्थित स्कूलों में रामनाम का प्रचार विवादित बना था। आखिरकार विवाद ज्यादा गहराने से पहले ही नगर प्राथमिक शिक्षा समिति के इंचार्ज शासनाधिकारी ने इस रामनाम प्रचार करने की मंजूरी रद्द कर दी है।
स्कूलों में शिक्षा दिया जाए प्राधान्य : असलम सायकलवाला
नगर प्राथमिक शिक्षा समिति के स्कूलों में रामनाम का प्रचार प्रवचन के बारे में पूर्व पार्षद असलम सायकलवाला ने बताया कि शिक्षा के हित में यह बात उचित नहीं है। स्कूलों में शिक्षा को प्राधान्य दिया जाना चाहिए। स्कूल की भौतिक सुविधाओं पर ध्यान देने की जरूरत है। धर्म के लिए कई धार्मिक संस्थाएं है। स्कूलों में बच्चे धार्मिक संस्कार के लिए बल्कि शिक्षा के संस्कार के लिए आते है। आखिरकार विवाद ज्यादा गहराने से पहले यह बात शासकों समझ आयी इसे रद्द कर दिया गया।