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अमरनाथ गुफा के पास नहीं फटे बादल, IMD ने बताई त्रासदी की वजह

IMD के अनुसार एक घंटे में 100 मिमी से अधिक बारिश होने पर ही इसे बादल फटना कहा जाता है

अमरनाथ गुफा के पास हुए हादसे के लिए बादल फटने को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है, लेकिन मौसम विभाग का कहना है कि वह इस घटना से सहमत नहीं है। वहीं, मौसम विभाग ने इसे स्थानीय घटना बताया।

श्रीनगर क्षेत्रीय मौसम विज्ञान केंद्र के अध्यक्ष सोनम लोटस ने कहा कि पवित्र गुफा के ऊपर एक बादल था जिससे अचानक भारी बारिश हुई लेकिन यह अचानक बाढ़ नहीं थी। उनका कहना है कि हो सकता है कि गुफा के शीर्ष पर कहीं भारी बारिश हुई हो और उसका पानी नीचे की ओर बह गया हो।

भारतीय मौसम विभाग की ओर से शुक्रवार को गुफा के आसपास बारिश की कोई विशेष चेतावनी जारी नहीं की गई थी। सामान्य रूप से जिले के लिए दैनिक पूर्वानुमान में एक पीला अलर्ट दर्शाया गया था। यानी सतर्क रहें। शुक्रवार को शाम 4.07 बजे विभाग की वेबसाइट पर जारी किए गए पूर्वानुमान में पहलगाम और बालटाल दोनों मार्गों पर आसमान में बादल छाए रहने और हल्की बारिश की संभावना जताई गई थी।

पवित्र गुफा में स्थापित स्वचालित मौसम विज्ञान स्टेशन (एडब्ल्यूएस) के आंकड़ों से पता चलता है कि क्षेत्र में सुबह 8:30 बजे से शाम 4:30 बजे तक बारिश नहीं हुई। आईएमडी के एक वैज्ञानिक ने बताया कि शाम 4:30 से 5:30 बजे के बीच सिर्फ 3 मिमी बारिश हुई लेकिन 5:30 से 6:30 बजे के बीच 28 मिमी बारिश हुई। इस दृष्टि से गुफा के पास कोई बादल नहीं फटा। दरअसल, आईएमडी मानक के मुताबिक इसे बादल फटना तभी कहा जाता है, जब एक घंटे में 100 मिलीमीटर से ज्यादा बारिश हो जाती है।

सोशल मीडिया पर वायरल हुए एक वीडियो में पवित्र गुफा के प्रवेश द्वार से बमुश्किल 200-300 मीटर की दूरी पर दो चट्टानों के बीच पानी और मलबा बहुत तेजी से बहता दिख रहा है। आईएएनएस के अनुसार सेवानिवृत्त मौसम विज्ञानी और एमडी में उत्तर भारत के अध्यक्ष आनंद कुमार शर्मा का कहना है कि गुफा के सामने बारिश नहीं हुई, लेकिन ऊपर कहीं हुई होगी। जिसका पानी नीचे बह गया हो। उन्होंने कहा “पहाड़ों में पहले से वर्षा की भविष्यवाणी करना मुश्किल है,”। हालांकि तीर्थयात्रियों की बढ़ती संख्या को देखते हुए जलग्रहण क्षेत्र में ऐसे मौसम केंद्र स्थापित किए जा सकते हैं।

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