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सौराष्ट्र में विलुप्त हो रहे हैं गधे: सिर्फ 417 गधे बचे, ऐसे किया गया सम्मान

सौराष्ट्र की लुप्तप्राय गधों की प्रजाति को बचाने के लिए गुजरात में एक अनूठी पहल की गई है। राजकोट के उपलेटा तालुका के कोल्की गांव में शनिवार को हलारी गधों का अनोखे तरीके से सम्मान किया गया। राज्य सरकार के साथ ही मालधारी समाज भी इस प्रजाति के संरक्षण के लिए आगे आया है। गधों को चुनरी पहनाकर सम्मानित किया गया। कॉस्मेटिक उत्पाद बनाने में इस्तेमाल होने वाले हलारी गधी के एक लीटर दूध की कीमत 180 रुपए है। हलारी गदरभा संवर्धन समिति द्वारा आयोजित कार्यक्रम में चरवाहा समुदाय के करीब 150 लोग, हलारी गधों को पालने वाले चरवाहे और पशुपालन विभाग के अधिकारी मौजूद थे।

कीमत 1.25 लाख तक 

मालधारी महिलाओं द्वारा सोरठी लहजे में गीत गाए गए। अभी कुछ दिन पहले पैदा हुए इन गधों को तिलक और चावल लगाकर और गुलाबी चुनरी ओढ़ाकर सम्मानित किया गया। उन्हें मालधारी ने माला भी पहनाई। मालधारी समुदाय के लोगों का कहना है कि जब ये गधे बड़े हो जाएंगे तो इनकी कीमत सवा लाख तक हो जाएगी। इस कार्यक्रम का उद्देश्य राज्य के सौराष्ट्र क्षेत्र में पाए जाने वाले गधों की लुप्तप्राय हलारी नस्ल का संरक्षण करना है। इसके लिए मालधारी समाज व अन्य लोगों को जागरूक करना होगा। नर गधे बहुत कम होते हैं।

संस्था के अनेक प्रतिनिधि उपस्थित थे

इस प्रजापति के केवल 417 गधे सौराष्ट्र में बचे हैं। सहजीवन संस्थान के रमेश भट्टी, अन्य प्रतिनिधि, मालधारी समिति सहित अनेक लोग उपस्थित थे।

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