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गुजरात के दंपति ने की पीएम मोदी से बेटी वापस लाने की अपील, जर्मनी में बेटी की कस्टडी के लिए संघर्ष कर रहे हैं

जर्मनी में एक भारतीय दंपति दो साल से अपनी दो साल की बेटी की कस्टडी के लिए संघर्ष कर रहा है। गुजराती दंपति ने अब भारत सरकार और खासकर पीएम मोदी से उनकी बेटी को वापस करने की अपील की है। लड़की की मां चाहती है कि उसकी बेटी को जल्द से जल्द उसके पास वापस लाया जाए। ताकि बालिका अपने परिवार की संस्कृति के साथ बड़ी हो और उसका भविष्य उज्ज्वल बने। गुजरात के भावेश शाह और उनकी पत्नी धारा की कहानी बेहद इमोशनल है।

भावेश को 2018 में जर्मनी में नौकरी मिली थी। इसके बाद भावेश और उनकी पत्नी धारा जर्मनी शिफ्ट हो गए, ताकि वे बेहतर जिंदगी जी सकें। वहां उनके घर एक बेटी ने जन्म लिया। वे चाहते थे कि उनकी बेटी को अच्छी शिक्षा और जीवनशैली मिले, लेकिन एक दिन कुछ ऐसा हुआ जिसके बारे में उसने कभी सपने में भी नहीं सोचा था। जब उनकी बेटी 6 महीने की थी तो एक दिन 17 सितंबर 2021 को उन्होंने बच्ची के डायपर में खून देखा। इसके बाद दंपति उसे चेकअप के लिए बर्लिन के चैरिटी नामक अस्पताल में ले गए। जहां उन्हें बताया गया कि उनकी बेटी की तबीयत ठीक है और 4 दिन बाद फॉलोअप के लिए आने को कहा।

दंपती के खिलाफ आपराधिक मामला

कोविड के चलते माता-पिता में से कोई एक ही बच्चे के साथ जा सकता था। धारा शाह बच्चे को अस्पताल ले गई। अस्पताल प्रशासन ने चाइल्ड फैसिलिटी टीम को बुलाया और उन्हें बताया कि उसके साथ यौन शोषण हुआ है। इसके बाद दंपति के खिलाफ एक आपराधिक मामला भी शुरू किया गया था, लेकिन मामला फरवरी 2022 में वापस ले लिया गया क्योंकि यह पाया गया कि बच्ची के साथ कुछ भी गलत नहीं हुआ था। लेकिन उन्हें अपनी बेटी वापस नहीं मिली है और वह उसके लिए एक सिविल केस लड़ रहे हैं। इस बीच बच्ची की उम्र 2 साल पार कर चुकी है। परिजनों का आरोप है कि उन्हें अपनी बेटी से मिलने तक नहीं दिया जा रहा है। उन पर अपने बच्चे को हाथ से दूध पिलाने और जरूरत से ज्यादा खिलाने का आरोप लगाया गया था। यह सब संस्कृति में अंतर के कारण हो रहा है।

भारत सरकार ने भी परिवार की तलाश की

उनका आरोप है कि जर्मनी में कई ऐसे परिवार हैं जो हमारी लड़की को अपने पास रखना चाहते हैं। हम उसकी देखभाल कर सकते हैं, लेकिन फिर भी जर्मन सरकार बच्ची को चाइल्ड केयर सेंटर में रख रही है। भारत सरकार को एक गुजराती जैन परिवार भी मिला है जो भारत में लड़की को पाल सकता है। उसकी रिपोर्ट जर्मनी में संबंधित विभाग को भेज दी गई है लेकिन अभी भी बच्ची चाइल्ड केयर सेंटर में रह रही है।

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