मुंबई। चुनाव आयोग ने शिवसेना पार्टी का नाम और चिन्ह धनुष्य तीर एकनाथ शिंदे को दे दिया है। इसे उद्धव ठाकरे के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है।
एकनाथ शिंदे ने 40 विधायकों के साथ शिवसेना छोड़ने का फैसला किया था। उसके बाद उन्होंने शिवसेना पार्टी और सिंबल पर दावा किया। चुनाव आयोग के सामने लड़ाई चल रही थी। इस संबंध में आज चुनाव आयोग ने फैसला सुनाया है। इसमें उद्धव ठाकरे को बड़ा झटका लगा है। इसे धनुष और बाण का प्रतीक और शिवसेना नाम भी मिला। इसलिए अब से शिवसेना एकनाथ शिंदे की होगी। शिवसेना ठाकरे परिवार के हाथ से चली गई है।
2018 में शिवसेना पार्टी के संविधान में बदलाव की सूचना चुनाव आयोग को नहीं दी गई थी। शिवसेना प्रमुख बालासाहेब ठाकरे द्वारा बनाए गए 1999 के पार्टी संविधान में निहित अंतर-पार्टी लोकतांत्रिक मानदंडों को बदल दिया गया। उस वक्त बालासाहेब ठाकरे ने चुनाव आयोग से पार्टी संविधान में बदलाव को मंजूरी दी थी। लेकिन 2018 में किए गए बदलावों की जानकारी चुनाव आयोग को नहीं दी गई।
चुनाव आयोग ने पाया कि 2018 में पार्टी के संविधान में शिवसेना पार्टी द्वारा किए गए बदलाव लोकतंत्र के अनुकूल नहीं हैं। बिना पार्टी चुनाव कराये पदाधिकारियों की नियुक्ति की गयी। इससे उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना ने चुनाव आयोग का विश्वास खो दिया था।