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सूरत जिले के ओलपाड तालुका के ईशनपुर गांव की पायलबेन पटेल बनीं ‘ड्रोन दीदी’

अकाउंट की नौकरी छोड़कर ड्रोन ऑपरेटर के रूप में शुरू किया करियर

सूरत : गुजरात के ग्रामीण क्षेत्रों में महिला सशक्तिकरण को तकनीक से जोड़ते हुए राज्य सरकार द्वारा निरंतर परिवर्तन लाने का प्रयास किया जा रहा है। मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल के सशक्त नेतृत्व और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विज़न से प्रेरित “नमो ड्रोन दीदी योजना” के अंतर्गत आज कई गांवों की महिलाएं आत्मनिर्भर बनने की राह पर आगे बढ़ रही हैं। ऐसे में सूरत जिले के ओलपाड तालुका के एक छोटे से गांव ईशनपुर की पायलबेन पटेल आज ‘ड्रोन दीदी’ के रूप में प्रसिद्ध हो गई हैं। तकनीक और आत्मनिर्भरता के साथ ग्रामीण जीवन में क्रांति लाने वाली पायलबेन की यात्रा गुजरात के महिला सशक्तिकरण की जीवंत मिसाल बन चुकी है।

खेती-किसानी पर निर्भर परिवार से आने वाली पायलबेन ने सूरत के अठवालाइंस स्थित गर्ल्स पॉलिटेक्निक कॉलेज से डिप्लोमा इन कमर्शियल प्रैक्टिस किया। इसके बाद उन्होंने एक निजी कंपनी में अकाउंट विभाग में नौकरी की, जहाँ उन्हें प्रति माह ₹12,000 वेतन मिलता था। लेकिन जीवन में कुछ नया करने के विचार से उन्होंने नौकरी छोड़कर टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में कदम रखा और ड्रोन ऑपरेटर के रूप में अपने व्यवसाय की शुरुआत की।

वर्ष 2023 में पायलबेन ने पुणे में आयोजित 15 दिन की विशेष ट्रेनिंग ली। इस प्रशिक्षण में उन्हें ड्रोन उड़ाने, संचालन और नियमों की तकनीकी जानकारी दी गई। IFFCO द्वारा आयोजित इंटरव्यू और लिखित परीक्षा सफलतापूर्वक पास करने के बाद उन्हें सरकारी सहायता के अंतर्गत ₹15.30 लाख मूल्य के उपकरण जैसे मीडियम साइज ड्रोन, ई-व्हीकल टेम्पो और जनरेटर निःशुल्क प्राप्त हुए।

प्रशिक्षण पूरा करने के बाद पायलबेन ने ओलपाड तालुका के 36 से अधिक गांवों में खेतों में ड्रोन के माध्यम से कीटनाशक दवाओं के छिड़काव का कार्य शुरू किया। मात्र दो वर्षों में उन्होंने ₹5.50 लाख से अधिक की आय अर्जित की, जो उनकी पुरानी नौकरी से कई गुना अधिक है।

पायलबेन बताती हैं कि ड्रोन ऑपरेट करना अत्यंत जिम्मेदारी का कार्य है। खेत का नक्शा ड्रोन में फीड करके कंपास कैलिब्रेशन के माध्यम से ड्रोन को निर्धारित क्षेत्र में उड़ाना होता है। अपने अनुभव साझा करते हुए वे कहती हैं कि ड्रोन से दवा छिड़काव से समय, दवा और पानी की बचत होती है और खेत में कार्यक्षमता बढ़ती है। खासकर ऊँची फसलें जैसे गन्ने की खेती में यह तकनीक बेहद प्रभावी साबित हुई है। एक एकड़ खेत में केवल सात मिनट में छिड़काव संभव होता है।

आज पायलबेन ओलपाड तालुका के कई गांवों में लोकप्रिय हो चुकी हैं और उन्हें लगातार नए कार्यों के लिए संपर्क किया जा रहा है। घर का कामकाज, पति और चार साल की बेटी की जिम्मेदारी निभाते हुए भी वे अपनी दक्षता और निष्ठा से तकनीक के साथ बेहतरीन तालमेल स्थापित कर रही हैं।

पायलबेन के प्रयासों ने आज की ग्रामीण महिलाओं को एक नई दिशा दिखाई है। उन्होंने न केवल अपने जीवन में बदलाव लाया है बल्कि अपने आसपास की महिलाओं के लिए भी प्रेरणा स्रोत बनी हैं।

पायलबेन पटेल – एक ऐसी ‘ड्रोन दीदी’ जिन्होंने खेती में तकनीक की दिशा में नया इतिहास रच दिया और आज गुजरात के ग्रामीण विकास यात्रा में एक मजबूत सीढ़ी साबित हो रही हैं।

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