ई-कॉमर्स कंपनियों द्वारा अत्यधिक छूट की पेशकश पर कैट की कड़ी आलोचना
छोटे खुदरा व्यापारियों को व्यापार से बाहर करने की एक सोची-समझी साजिश बताया
कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ़ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने अमेज़न और अन्य ई-कॉमर्स कंपनियों द्वारा अत्यधिक छूट की पेशकश पर कड़ी आलोचना की है, उन पर देश के खुदरा व्यापार पारिस्थितिकी तंत्र को नुकसान पहुँचाने का आरोप लगाया है। कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बी.सी.भरतिया और राष्ट्रीय महामंत्री एमेरिटस प्रवीन खंडेलवाल ने कई बैंकों को भी आड़े हाथों लिया, जिन्होंने इन ई-कॉमर्स प्लेटफ़ॉर्म्स पर ख़रीदारी के लिए विशेष छूट और कैशबैक की पेशकश की है। व्यापारिक नेताओं ने इसे छोटे खुदरा व्यापारियों को व्यापार से बाहर करने की एक सोची-समझी साजिश बताया।
भरतिया और खंडेलवाल ने कहा कि ये कदम कानूनों और नियमों की स्पष्ट अवहेलना को दर्शाते हैं। हाल ही में भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) द्वारा जारी की गई जांच रिपोर्ट, इन ई-कॉमर्स दिग्गजों के अनैतिक व्यापारिक तरीकों और कार्यप्रणाली को उजागर करती है, फिर भी ये कंपनियाँ उसी तरह के हानिकारक व्यापारिक तरीकों को जारी रख रही हैं। उन्होंने कहा कि ये कंपनियाँ भारत को ‘बनाना गणराज्य’ समझती हैं और देश के कानूनों और नियमों का बिल्कुल भी सम्मान नहीं करतीं। व्यापारिक नेताओं ने यह भी कहा कि कई ब्रांड्स भी इस अनैतिक खेल में शामिल हैं।
गुजरात कैट के चेयरमैन प्रमोद भगत ने जोर देकर कहा कि भले ही ये छूट उपभोक्ताओं को आकर्षित करने के लिए दी जा रही हो, लेकिन ये खुले तौर पर निष्पक्ष व्यापार और मूल्य निर्धारण से संबंधित नियमों का उल्लंघन करती हैं। इतनी अधिक छूट न केवल बाज़ार की प्रतिस्पर्धा को विकृत करती है, बल्कि छोटे व्यापारियों और उन व्यवसायों के लिए एक असमान स्थिति पैदा करती है जो इतनी भारी छूट देने में सक्षम नहीं हैं।
प्रमोद भगत जी ने सरकार से इन कंपनियों के खिलाफ तुरंत कार्रवाई करने, जिसमें उनके त्योहारी बिक्री को निलंबित करना शामिल है, का आग्रह किया है ताकि खुदरा क्षेत्र के हितों की रक्षा हो सके और निष्पक्षता बहाल की जा सके।