
सूरत : मुख्यमंत्री से कपड़ा मार्केटों की कोमर्शियल प्रॉपर्टी को अशांतधारा से मुक्त करने की मांग
सूरत के अलग अलग विस्तार में पिछले कई सालों से अशांतधारा लगाया हुआ है। अशांतधारा अधिनियम 1991 के अंतर्गत सूरत के टेक्सटाइल कपड़ा मार्केट तथा कई निर्माणाधीन मार्केट आते है जिसमें हजारों दुकानदार भाई अपना व्यापार करते हैं। अशांतधारा एक्ट के लागू होने से कमर्शियल प्रॉपर्टी के ले बेच एवं रजिस्टर्ड दस्तावेज कराने के लिए सरकारी परमिशन लेना आवश्यक कर दिया है, जिससे व्यापारियों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
फोस्टा के अध्यक्ष मनोज अग्रवाल और महामंत्री चम्पालाल बोथरा ने बताया कि अशांतधारा अधिनियम 1991 में भाड़ा करार या लिव एन्ड लाइसेंस में अभी तक 300 से 400 रूपये का खर्च लग रहा था और समय की भी बचत होती थी, परंतु अशांतधारा एक्ट के लागू होने से यही खर्च अब 6 हजार से 9 हजार रूपये का हो गया है और सभी कागजी कार्यवाही में 1 महीने से अधिक का समय लग रहा है। तब तक दुकानदार अपने व्यापार का जीएसटी नंबर नहीं ले सकता है और नहीं व्यापार शुरू कर सकता है।
लगभग 1 माह का किराया भी हर दुकानदारों को भाड़ा करार रजिस्टर्ड कराने के समय नियम की वजह से लग रहा है। सूरत टेक्सटाइल मार्केट में जब कोई व्यापारी अपना नया व्यवसाय शुरू करता है तब उसे मार्केट के नियमों के अंतर्गत अपनी डिटेल्स, भाड़ा करार इत्यादि जमा करना पड़ता है, उसके बाद ही उसे गेट पासबुक एवं मार्केट की अन्य सुविधाएं उपलब्ध होती है, परंतु अशांतधारा एक्ट के लागू होने कागजी कार्यवाही में व्यापारी उलझ कर रह गया है, साथ ही समय के साथ साथ वकील खर्च, लीगल खर्च एवं अन्य परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
अत: सूरत विस्तार के सभी टेक्सटाइल मार्केट की कॉमर्शियल प्रॉपटी से अशांतधारा से मुक्त कराकर हजारों व्यापारियों को आने वाली दिक्कतों से राहत देने की मांग फोस्टा ने मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल से की है।