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लोगों के जीवन को सरल बनाने वाला व्यक्ति श्रेष्ठ होता है : संत सुधांशुजी महाराज

शहर के वेसू स्थित रामलीला मैदान में अनाथ आश्रम के लाभार्थ विश्व जागृति मिशन सूरत मंडल द्वारा आयोजित चार दिवसीय विराट भक्ति सत्संग के अंतिम दिन रविवार को शहर के जाने-माने उद्योगपति नरेंद्र साबू महाराज जी के दीक्षित जय भगवान गुप्ता सहित अनेक गणमान्य लोगों ने महाराज जी का स्वागत कर आशीर्वाद लिया। तत्पश्चात मंडल के संरक्षक एवं पूर्व अध्यक्ष दिलीप ब्रह्मभट्ट, सुरेश मालानी, प्रमुख गोविंद डांगरा, पूरणमल सिंघल ने नरेंद्र साबू का स्मृति चिन्ह भेंट कर स्वागत किया। मंच का संचालन कार्यक्रम के पर्यवेक्षक आचार्य रामकुमार पाठक ने किया।

लोक विख्यात संत सुधांशु जी महाराज ने कहा कि लोगों के जीवन को सरल बनाने वाला व्यक्ति ऊंचा (श्रेष्ठ) होता है। जबकि दूसरे को जीवन में संकट पैदा करने वाला व्यक्ति ठीक नहीं होता है। दीक्षित लोगों को दो सेवा प्रतिदिन जरूर करना चाहिए। प्रदर्शन के लिए नहीं आत्म दर्शन के लिए जो भी हो छोटा से छोटा सेवा जरूर करें। जैसे किसी पेड़ को पानी देना, सड़क पर बड़े केले के छिलके, काटे,शीशे के टुकड़े हटाकर सुरक्षित रख देना आदि।

महाराजजी ने कहा कि अच्छे लोगों लोग एक साथ होकर ताकत बनकर देश और समाज के लिए एक अच्छा काम कर सकते हैं। अगर एक नहीं हो सकते तो अकेले भी जहां से हो सके कांटे निकाल सकते हैं तो निकालने का प्रयास करें। भगवान श्री कृष्ण गीता में अर्जुन से कहते हैं संसार के सभी जीव हमारा ही बीज यानी मेरे ही अंश है। संसार के तेजस्वी लोगों का तेज, बुद्धिमान लोगों की बुद्धि, बलशाली का बल मैं ही हूं। महाराजजी ने कहा कि भगवान जब कृपा करते हैं तब एक साधारण व्यक्ति भी साधारण हो जाता है और जब छीन लेते हैं तो वह कहीं का नहीं रह जाता। जीवन देने वाला संसार का नियामक महाशक्ति परमपिता परमेश्वर ही है।

महाराज जी ने कहा कि शरीर को जब आत्मा छोड़ देती है तो मिट्टी हो जाती है। जैसे शरीर के अंदर शक्ति आत्मा है वैसे ही संसार की शक्ति परमात्मा है। जिस जगह को देखना नहीं चाहते वहीं पर लोग ले जाकर शरीर को राख कर देते हैं। जो सांस चल रही है, धड़कने धड़क रहा है, आंखों का तेज दिख रहा है यह तेज देने वाला और कोई नहीं परमसत्ता परमात्मा ही है। भगवान श्री कृष्ण कहते हैं मेरी शरण में आ जाने पर मानव का मानव का कल्याण हो जाता है। सद्गुरु के पवित्र कार्य में सहयोगी होना ही गुरु सेवा है।

जब सब ठीक होता है तब लोग साथ देते हैं। जब दुर्भाग्य आता है तो अपने लोग भी दूर हो जाते हैं। लोगों को दुनिया की भीड़ दिखाई देती है, लेकिन गरीब नहीं दिखाई। दीन (गरीब-दुखी) दुनिया को देखता है, परंतु उसे कोई नहीं देखता। भगवान कभी किसी को गरीबी न दें। गरीबी आने पर खास रिश्ते भी टूट जाते हैं। दुनिया के लोग दीन-दुखियों के लिए दरवाजे बंद कर देते हैं, लेकिन हमारे मालिक का दरवाजा कभी बंद नहीं होता है। जगत का मालिक को हर पल गले लगाने को तैयार रहता है।

वैभव लक्ष्मी पूजन एवं यज्ञ हुआ सम्पन्न

पूज्य गुरुदेव श्रद्धेय श्री सुधांशु जी महाराज ने कहा कि हमारा समय, हमारी ऊर्जा, प्रतिभा, साधन, शक्ति अगर शुभ के साथ जुड़ जाए तो इसका फल सदैव सौभाग्य के रूप में मिलता है। अगर हम जीवन में लक्ष्मी की कृपा चाहते हैं हमें भगवान की भक्ति का आश्रय जरूर लेना चाहिए। भक्ति के बिना सभी भौतिक साधन दुःख, चिन्ता, भय, निराशा, क्लेश, रोग, अहंकार, दुर्व्यसन आदि दुर्गुणों को जन्म देते हैं। घर में लक्ष्मी की कृपा के लिए स्वच्छता, पवित्रता, व्यवस्था, रिश्तों में मधुरता, परिवार में प्रेम, बड़ों का आदर, भक्ति एवं पूजन का नियम जरूरी है। अपनी गलतियों के लिए क्षमा याचना करें। दूसरों की गलतियों को भी माफ करने की स्वभाव बनाएं। भगवान की देन के लिए धन्यवादी बनें। अपने हाथ से कमाई का कुछ हिस्सा सेवा कार्यों में लगाने का संकल्प करें। धर्मपूर्वक धन का अर्जन करें। कामनाओं की पूर्ति में भी धर्म का ध्यान रखें। आवागमन से मुक्ति के लिए धर्म कभी न छोड़ें। धर्म से जुड़कर व्यक्ति के समस्त कर्म सुफल प्रदान करते हैं।

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