जल जीवन की महत्वपूर्ण जरूरत, सहेजे जीवन की बूंदे
जल संकट की जिम्मेदारी कृषि क्षेत्र पर है।देश का 70 प्रतिशत से ज्यादा पानी सिंचाई में चला जाता है। पानी की कमी फरवरी से ही शुरू हो जाती है। तपती धरती से पानी सूखने लगता है। आज हम पानी की कीमत नही समझ रहे है,लेकिन पानी जीवन का हिस्सा है।देश मे औधोगिक इकाइयों, उधोग धंधे और फैक्टरियों व कारखाने में अधिकाधिक पानी की खपत होती है। हमारे यहाँ पानी सरंक्षित करने की कोई मजबूत व्यवस्था नही है। फैक्टरियां पानी खींच लेती है। कही अतिवृष्टि तो कही सूखे की मार से हर एक व्यक्ति परेशान है।
50 अरब से ज्यादा क्यूबिक मीटर की मांग उधोगो को है। कुप्रबंधन के कारण अधिक पानी बर्बाद होता है। जो व्यक्ति या गृहणी जानबूझ कर पानी का बिगाड़ करते है उन्हें आग्रह है कि आप पानी की बूंदे को सहेजे और अपने परिवार में पानी बर्बाद नही करने की सलाह दे। पानी जीवन है,पानी कल है और पानी आने वालीं पीढ़ियों का जीवन मन्त्र है। हम अपने घर से पानी सरंक्षित करने की पहल करे। भारत मे पीने के पानी के लिए संकट झेलना बहुत बड़ा संकट है। दूर दराज से महिलाएं पैदल चल कर पानी लाती है।
राजस्थान में ऐसे जिले भी है जहाँ जंगलों में जाकर पानी लाया जाता है। सरकार ने एनीकट की योजना के तहत पानी सरंक्षित करने का उपाय किया है। जिसके कारण मवेशियो और सिंचाई के लिए अच्छी व्यवस्था हो गई है। कई गांवो में लोग प्रदूषित जल पीने के लिए मजबूर है। पानी का प्रथम एक गिलास कितना मीठा लगता है। उस प्यास की कल्पना कर हम अपने आप को बदल सकते है। पानी है तो जीवन है। इसको बर्बाद नही करे। महिलाएं घर मे पानी की जरूरत नही है तो नल बन्द कर देना चाहिए। किसी के घर मे टूटी लगी है और टूटी लीकेज है पानी व्यर्थ बह रहा है तो आप प्लम्बर को बुलाकर तुरंत ठीक कराए।
पूर्वाचल के खनन दोहन के कारण अनेक क्षेत्रो में पानी से लेड आर्सेनिक जैसे घातक रसायनों के पानी का सेवन खतरनाक है। बढ़ती आबादी भूजल का अत्यदिक दोहन,ग्लोबल वार्मिंग से पानी ऐसी वस्तु बन जायेगा जिसका उपयोग उसी तरह करना होगा,जैसा आज दूध,घी और तेल का करते है। ऐसा समय भी आ सकता है सोने की अंगूठी देने के बाद भी एक गिलास पानी के लिए तरसना पड़ेगा। जल संकट गहरा गया तो सारा विकास धरा का धरा रह जायेगा।
वैध और अवैध बोरिंगों से भूमिगत जलस्तर का सीमा से अधिक दोहन हो रहा है। इसी कारण लोग खारे पानी की समस्या झेल रहे है। जल स्त्रोतों का इतना दोहन कर दिया है कि आज वे नदिया शहरों की प्यास नही बुझा पा रही है। अंधाधुंध शहरीकरण , नागरिकों की लापरवाही व प्रशासनिक उपेक्षा ने देश मे तलाब कुएं,बावड़िया झीलें आदि परम्परागत जलस्रोतो की समृद्ध विरासत को भी बेहतर नष्ट कर डाला है। आज देश की गंभीर समस्या बन चुकी है।पानी आपका आपके परिवार का और आने वाली पीढ़ियों का जीवन है।
( कांतिलाल मांडोत )