
गोगुन्दा में आज 85 कोरोना संक्रमित मरीज मिले
उदयपुर कांतिलाल मांडोत उदयपुर में कोरोना जांच में संक्रमित मरीजों की संख्या घटती नजर आ रही हैं। जांच में 932 का आंकड़ा सामने आने से करीब पांचसौ मरीज की घटत उदयपुर के लिए अच्छे संकेत है। जिसमें बहुत ही कम लोगो की मौत हुई है। ग्रामीण क्षेत्र में बहुत ही कम मरीज मिल रहे है। लेकिन गोगुंदा में आज 85 कोरोना मरीज मिलने से डर व्याप्त हो गया है। सायरा चिकित्सा अधिकारी आर एस मीणा ने बताया कि आज गोगुन्दा और सायरा में 85 कोरोना संक्रमित मरीज मिले है। जो बेहद गंभीर कहा जा सकता है।
दूसरी लहर में कोरोना ग्रामीण क्षेत्र में युवाओ को भी चपेट में ले रहा है, यह चिंता का विषय है। कोरोना को हराने के लिए लॉकडाउन का ही अंतिम विकल्प था और राज्य सरकार ने ऐतिहायत के कदम उठकर 10 से 24 मई तक लॉकडाउन का निर्णय किया। इस दौरान एक दूसरे जिले में आने जाने और निजी और सरकारी परिवहन की सेवाएं बन्द रखने का निर्णय जनता हित मे है। इस दौरान 31 मई तक विवाह समारोह में बिना बेंड और बाराती से शादी करनी होगी। सरकार ने जनहित में फैसला लिया है। कोरोना के आंकड़े हर दिन नया रिकॉर्ड बना रहे है। लेकिन जांच में कोरोना संक्रमित मरीज जीरो तक नही पहुंच पाते, वहा तक खतरा टला नही है। कोरोना महाआपदा में रोज बदलाती स्वास्थ्य सेवाएं और उसमें उत्पन्न डर और हताशा के बीच ऐसे समाचार और दृश्य भी सामने आ रहे है जो उम्मीद पैदा करते है। इस विकट परिस्थितियों में राज्य और जिले का बड़ा समूह भारी जोखिम उठाकर भी समर्पण और संकल्प के साथ सेवा भाव के साथ काम कर रहा है।
आज देश मे चार लाख से उपर कोरोना संक्रमित मरीज मिले है।दूसरी लहर की त्रासदी के लिए हम ही जिम्मेदार है। दुनिया को देने वाला भारत आज दुनिया से मदद मांगने के लिए मजबूर है। बढ़ती महामारी के सामने लोगों को रोजगार की चिंता है। ऑक्सीजन और इंजेक्शन के लिए लोग कालाबाजारी कर रहे है। यह गलत बात है। लोग घर,जमीन और जेवर बेचकर इलाज करा रहे है। जबकि लोग जीवन रक्षक दवाईयों की कालाबाजारी करते हुए अच्छे नही लगते है। इंसानियत भी कोई चीज होती है। कोरोना का कहर गांवो तक पहुंच गया है। इसके लिए स्वास्थ्य सुविधाएं जल्दी पहुंचे।
पिछली बार जनता कर्फ्यू के बाद सरकार ने राशन और मनरेगा में लोगो को काम दिया था। इस बार भी 24 मई याने इस पूरे महीने तक धंधा उद्योग और नौकरी से वंचित लोगों और गरीब परिवार के लिए राज्य सरकार अतिरिक्त मदद करे। जिससे राशन के लिए ग्रामीण जनता को मजबूर नही होना पड़े। आदिवासी और टीएसपी इलाको में सरकार की मदद पहुचे,जिससे लोगों को परेशानी नही उठानी पड़े। निजी संस्थाएं और समाज कल्याण के लिए काम करने वाले समूह को मदद के लिए आगे आना चाहिए। लोग गांवो की परिस्थिति देखकर शहर में भी रोजगार के लिए जा सकते है लेकिन कोरोना और लॉकडाउन के कारण लोगों को घर मे रहने के सिवाय दूसरा विकल्प नही है।