धर्म- समाज

कण – कण में ब्रम्ह, ईश्वर समाया है : स्वामी अवधेशानंद गिरि

स्वामी अवधेशानंद गिरि ने अनुयायियों को दी गुरू दीक्षा

सूरत। शहर के वेसू क्षेत्र में श्री श्याम अखंड ज्योत सेवा समिति के तत्वावधान में सूरत क्षेत्र में छात्रावास के निमार्ण हेतु आयोजित सात दिवसीय श्री रामकथा का आयोजन किया गया है। कथा के छठे दिन रविवार को व्यासपीठ से जूना पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि महाराज द्वारा सुनाए गए राम वनवास, राम- भरत मिलाप, दशरथ मरण और भरत – कैकेयी संवाद समेत संवाद सुनाए। मार्मिक संवादों से कथा का श्रवण कर रहे राम भक्त भाव विभोर हो गए। आज कथा से पूर्व सुबह स्वामी अवधेशानंद गिरि जी ने गुरू दीक्षा दी। बड़ी तादाद में अनुयायी ने गुरू दीक्षा ग्रहण की।

स्वामी अवधेशानंद गिरि ने श्रीराम कथा का रसपान करते हुए कहा कि प्रत्येक कण – कण में ब्रम्ह, ईश्वर समाया है। मनुष्य की शक्तियां अपार है, मनुष्य चाहे तो उनका अनुभव कर सकता है। राम वनवास का सुंदर वर्णन करते हुए कहते है कि भगवान वन में है, वन – उपवन की छट्‌टा ही निराली है। कोई भाग्यशाली ही ऐसे वन देख पाता है।

संन्यासी का माहात्म बताते हुए कहा कि हंस दूध – पानी का अंतर जानता है। हंस केवल मोती मोती चूंबता है, वैसे ही संन्यासी संस्काररूपी दलदल से जिज्ञासु रूपी मोतियों को निकालते है। सीताजी हर्षित है, लक्ष्मण आनंदित है। वनवास का तो परशुराम को धनुष्य भंग के समय ही संकेत मिल गए थे कि रामजी को मुनियों का संग मिलेगा। जैसे राम चित्रकुट पहुंचते है। वाल्मिकी समाधि में बैठकर भगवान की प्रतिक्षा कर रहे थे, राम द्वार पर पहुंचते है।

उन्होंने कहा कि साधना करते रहिए राम आपके द्वारा आ जाएंगे। चित्रकुट में वनवास के दौरान 12 वर्ष रहे। गुरूदेव पांच सेवकों को मातृकुल में गए भरत के पास भेजते है और कहते है कि राम वनवास और दशरथ मृशित होने के थोड़ी भी उन्हें भनक नहीं लगनी चाहिए। राजा दशरथ भी चल बसे हैं। भरत को सिंहासन के लिये और कोई विघ्न नहीं है। लेकिन भरत अपनी माँ को अपशब्द कहते हैं, सिंहासन स्वीकार नहीं करते और रामजी की खोज में जंगल की ओर चल पड़ते हैं। रामजी वल्कल पहने हुए हैं, शिर पे जटा, मुख पर श्मश्रु- भरत सम्हल नहीं पाते, रामजी के चरणों में गिर पड़ते हैं।

कथा के दौरान गोविन्द सरावगी, नटवर टाटनवाल, कौशल खंडेलिया, पार्षद रश्मि साबू, प्रदीप अग्रवाल, अमित खेमका, पंकज कर्णावत और निरंजन अग्रवाल का महाराज श्री ने प्रतिक चिन्ह प्रदान कर आशीर्वाद दिया।

 श्याम के भजनों पर खूब झूमें श्रद्धालु

सात दिवसीय श्री रामकथा के छठे दिन रविवार को रात्रि 8 बजे से श्री श्याम भजन संध्या का आयोजन किया गया। जिसमें प्रसिद्ध भजन गायक संजू शर्मा और राकेश अग्रवाल भजनों की प्रस्तुति पर श्रद्धालु झूमते नजर आए। कार्यक्रम में बाबा का दरबार मुख्य आकर्षण का केंद्र रहा। श्री श्याम अखंड ज्योत सेवा समिति द्वारा आयोजित श्री श्याम भजन संध्या की शुरूआत यजमान अशोक अनिल पंसारी द्वारा बाबा की ज्योत प्रज्वलित कर की गई। संस्था के पदाधिकारियों एवं श्रद्धालुओं ने बाबा को छप्पन भोग का प्रसाद चढ़ाया और उनका आशीर्वाद प्राप्त किया।

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