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कैट ने ई कॉमर्स की ख़िलाफ़ आज से 90 दिन के राष्ट्रीय अभियान छेड़ने की घोषणा की 

भारत में विदेशी ई-कॉमर्स कंपनियों द्वारा अनैतिक व्यापार प्रथाओं और सरकारी नियमों और क़ानूनों के घोर उल्लंघन के खिलाफ कन्फ़ेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स ( कैट) ने आज मुंबई से एक आक्रामक राष्ट्रीय अभियान छेड़ने की घोषणा की है ।

आज मुंबई में आयोजित व्यापारियों के एक सम्मेलन में कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष  बी सी भरतिया एवं राष्ट्रीय महामंत्री  प्रवीन खंडेलवाल ने ई-कॉमर्स पर एक 5 सूत्रीय चार्टर जारी किया जिसमें एक मजबूत और ठोस ई-कॉमर्स नीति का तत्काल रोल आउट, ई कॉमर्स के लिए एक अधिकार संपन्न रेगुलेटरी अथॉरिटी का गठन, उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत ई-कॉमर्स नियमों को तत्काल जारी करना, एफडीआई खुदरा नीति के 2018 के प्रेस नोट 2 के स्थान पर एक नया प्रेस नोट जारी करना और जीएसटी कराधान प्रणाली के सरलीकरण और युक्तिकरण सहित एक नेशनल रिटेल पालिसी को जारी करना शामिल है ।

भरतिया और  खंडेलवाल ने मुंबई में आज एक पत्रकार सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि कैट ने आज “स्वच्छ ई वाणिज्य अभियान” नाम से 90 दिनों का राष्ट्रव्यापी आंदोलन शुरू किया है, जिसमें देश भर में 40 हजार से अधिक व्यापारी संगठन भाग लेंगे और 90 दिनों में देश भर में लगभग 1000 कार्यक्रमों जिसमें सेमिनार, वर्कशॉप, प्रोटेस्ट, कॉन्फ्रेंस सहित अनेक कार्यक्रम 14 मार्च 2023 तक आयोजित करेंगे| इस अभियान का समापन 15, 16 और 17 मार्च, 2023 को नई दिल्ली में तीन दिवसीय “राष्ट्रीय व्यापारी महाधिवेशन” में किया जाएगा जिसमें देश भर से 10 हजार से अधिक व्यापारी शामिल होंगे।

उन्होंने आगे बताया कि 19 दिसंबर से 5 जनवरी, 2023 तक कैट विभिन्न राज्यों के 22 शहरों में अपने ई-कॉमर्स चार्टर के समर्थन में 22 व्यापार सम्मेलन आयोजित करेगा। कैट के आह्वान पर देश भर के व्यापारी संगठन एक केंद्र एवं सभी राज्य सरकारों सहित सभी राजनीतिक दलों को ई-मेल” भेजने का विराट अभियान चलाएंगे और मांग करेंगे कि वे देश के व्यापारिक समुदाय के संकटों और कष्टों को सुनें और समझें जो विदेशी निवेश वाली ई-कॉमर्स कंपनियों के अनैतिक कार्य प्रणाली से उत्पन्न हुई हैं।

भरतिया और  खंडेलवाल दोनों ने कहा कि देश भर के व्यापारी 5 जनवरी को ” ई कॉमर्स आजादी दिवस ” ​​के रूप में मनाएंगे और इस दिन देश भर में व्यापारी संगठन पूरे देश में “ धरना” आयोजित करेंगे तथा केंद्र और राज्य सरकारों से ई-कॉमर्स चार्टर को स्वीकार करने और लागू करने की माँग करेंगे। उन्होंने आगे बताया 15 जनवरी से 22 जनवरी तक देश के सभी राज्यों में एक दिन की भूख हड़ताल की एक श्रृंखला आयोजित की जाएगी। इस बीच सभी राज्यों के विभिन्न शहरों में व्यापारी रैलियां निकालेंगे।

इसी प्रकार से व्यापारी प्रतिनिधिमंडल सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों से भी मुलाकात कर उनसे ई कॉमर्स नीति और नियमों को लागू करने की माँग करेंगे वहीं जीएसटी राजस्व जी चोरी की दृष्टि से इन कंपनियों के व्यापार मॉड्यूल की जाँच करने की माँग करेंगे। भरतिया और  खंडेलवाल ने बताया चूंकि नियमों और नीति के उल्लंघन के लिए इन विदेशी ई पोर्टलों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जाती है, वे भारत को बेहद कमजोर राष्ट्र मानते हैं और यहाँ कानूनों और नियमों की पालन को ज़रूरी नहीं समझते ।

ललित गांधी, अध्यक्ष, महाराष्ट्र चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री एंड एग्रीकल्चर ने कहा कि ई-कॉमर्स नीति और उपभोक्ता संरक्षण (ई-कॉमर्स) नियमों को लागू करना पिछले दो वर्षों से अधिक समय से किसी न किसी कारण से लंबित है, जिसके चलते इन विदेशी निवेश वाली कंपनियों को भारतीय खुदरा व्यापार को नष्ट करने का खुला मौक़ा मिल रहा है । उन्होंने आगे कहा कि मोबाइल, एफएमसीजी, ग्रोसरी, कंज्यूमर ड्यूरेबल्स, इलेक्ट्रॉनिक्स, फूडग्रेन, गिफ्ट आइटम्स, लगेज, रेडीमेड गारमेंट्स, कॉस्मेटिक्स, फैशन अपैरल आदि जैसे ट्रेड वर्टिकल इन विदेशी कंपनियों से बुरी तरह प्रभावित हुए हैं, जो ईस्ट इंडिया कंपनी का दूसरा संस्करण बनने की कोशिश कर रहे हैं।

भरतिया और  खंडेलवाल दोनों ने इस बात पर गहरा खेद व्यक्त किया कि उनकी व्यावसायिक गतिविधियों की संदिग्ध प्रकृति के बावजूद, कई राज्य सरकारों ने इन कंपनियों के साथ विभिन्न उद्देश्यों के लिए समझौता ज्ञापन में प्रवेश किया है, लेकिन इन कंपनियों ने बहुत अधिक डेटा प्राप्त किया है जो बहुत अधिक संप्रभु संपदा है।
उन्होंने मांग की कि ऐसी सभी राज्य सरकारों को इन कंपनियों के साथ अपने समझौते को तुरंत समाप्त कर देना चाहिए।

भरतिया और खंडेलवाल ने कहा कि भारत के व्यापारियों को प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी से पूरी उम्मीद है, जिन्होंने हमेशा छोटे व्यवसायों के लिए न केवल इन कंपनियों के शातिर चंगुल से भारत के ई-कॉमर्स व्यापार को बचाने के लिए, बल्कि तत्काल रिहाई के लिए भी काम किया है और ई-कॉमर्स नीति और ई-कॉमर्स के लिए उपभोक्ता संरक्षण नियम नही बनाये है।इस बीच, विदेशी निवेश वाली ई-कॉमर्स कंपनियों के खिलाफ सभी लंबित जांच तेज की जानी चाहिए और कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए।

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