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कोरोना के कारण देश भर में पिछले 15 दिनों में 50 % से अधिक व्यापार गिरा : कैट

देश में कुल रिटेल व्यापार लगभग 150 लाख करोड़ रुपये का होता है

कोरोना के मामलों में देश भर में तेजी होने तथा विभिन्न राज्यों द्वारा अनेक प्रकार के प्रतिबंध लगाए जाने का सीधा असर देश भर में व्यापार एवं आर्थिक गतिविधियों पर पड़ा है जिसके चलते देश भर में विभिन्न सामानों का व्यापार पिछले 15 दिनों में औसतन 50 % से अधिक कम हुआ है। देश में कुल रिटेल व्यापार लगभग 150 लाख करोड़ रुपये का होता है -यह बताते हुए कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ़ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने केंद्र सरकार एवं सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों से कहा है की कोरोना से बचाव के लिए हर संभव कदम उठाये जाएँ, इस पर कोई दो राय नहीं हो सकती है किन्तु प्रतिबंधों के साथ व्यापारिक एवं आर्थिक गतिविधियां भी सुचारू रूप से चलते रहें, इसको ध्यान में रख कर तथा देश भर के व्यापारी संगठनों के साथ राय -मशवरा करते हुए ही यदि कोरोना से संबंधित कदम उठाये जाएँ तो ज्यादा ठीक होगा।

कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बी सी भरतिया एवं राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने कहा की दिल्ली में ऑड-ईवन जैसे कदम एक निरर्थक प्रयास साबित हुए है जिसने सुचारू व्यावसायिक गतिविधियों के संचालन को प्रतिबंधित कर दिया है। इस प्रकार के प्रतिबंधों के साथ साप्ताहिक लॉकडाउन ने व्यावसायिक गतिविधियों को या तो केवल दो दिन या एक सप्ताह में तीन दिनों के लिए के लिए ही व्यापार करने के लिए छोड़ा है जिससे व्यावसायिक गतिविधियाँ भी काफी हद तक कम हो गई हैं। दिल्ली के व्यापार का सदियों पुराना वीरान स्वरुप है जो कोरोना के चलते अत्यधिक विकृत हो गया है और धीरे-धीरे दिल्ली का व्यापार अन्य राज्यों में स्थानांतरित हो रहा है। उल्लेखनीय है कि अन्य राज्यों से लगभग 5 लाख व्यापारी प्रतिदिन अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए दिल्ली आते थे लेकिन कोविड प्रतिबंधों के कारण अब उन्होंने दिल्ली आना बंद कर दिया है और अन्य राज्यों से अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति कर रहे हैं, इससे दिल्ली के व्यापार पर पड़ने वाला प्रतिकूल प्रभाव निकट भविष्य में दिखेगा।

भरतिया एवं खंडेलवाल ने बताया की कोरोना के विभिन्न प्रकार के प्रतिबंधों के चलते देश भर में पिछले दस दिनों के व्यापार में औसतन 50 प्रतिशत से अधिक की गिरावट आई है। शहर से बाहर का आने वाला खरीदार अपने शहर से बाहर नहीं निकल रहा है जबकि रिटेल की खरीदारी करने के लिए उपभोक्ता भी जरूरत पड़ने पर ही सामान खरीदने के लिए बाजार जा रहे हैं। इस दोहरी मार से देश का व्यापार बुरी तरह से अस्त व्यस्त होना शुरू हो गया है, जिस पर केंद्र एवं सभी राज्य सरकारों को ध्यान देने की जरूरत है।

भरतिया एवं खंडेलवाल ने बताया की कैट के रिसर्च संगठन कैट रिसर्च एंड ट्रेड डेवलपमेंट सोसाइटी” ने 1 जनवरी से 15 जनवरी तक देश के विभिन्न राज्यों के 36 शहर जिन्हे कैट ने ” वितरण केंद्र ” का दर्जा दिया है, में कोरोना के बढ़ते स्वरूप और स्थानीय प्रशासन द्वारा लगाई गई पाबंदियों का व्यापार पर क्या असर पड़ा है, पर व्यापारियों के बीच एक सर्वे किया जिससे यह पता लगा है की बीते दो सप्ताह में देश के घरेलू व्यापार में लगभग 50 प्रतिशत से अधिक की औसतन गिरावट आई है। इस गिरावट का मुख्य कारण कोरोना की तीसरी लहर से लोगों में घबराहट, पड़ोसी शहरों से वितरण केंद्र पर सामान खरीदने का न आना,व्यापारियों के पास पैसे की तंगी,उधार में बड़ी रकमों का फंसना और इसके साथ ही बिना व्यापारियों से सलाह के बेतरतीब तरीके से कोविड प्रतिबंध लगाना भी शामिल हैं।

भरतिया एवं खंडेलवाल ने बताया की मौटे तौर पर *एफएमसीजी में 35 %, इलेक्ट्रॉनिक्स में 50 % मोबाइल में 50 % , दैनिक उपभोग की वस्तुओं में 35 %, फुटवियर में 60 % ज्वेलरी में 35 %, खिलौनों में 65 %, गिफ्ट आइटम्स में 70 %, बिल्डर हार्डवेयर में 50 %, सैनेटरीवेयर में 50 % परिधान तथा कपड़े में 40 %, कॉस्मेटिक्स में 30 %, फर्नीचर में 50 %, फर्निशिंग फैब्रिक्स में 50 %, इलेक्ट्रिकल सामान में 40 %, सूटकेस एवं लगेज में 50%, खाद्यान्न में 30 %, रसोई उपकरणों में 45 %, घड़ियों में 40 %, कंप्यूटर एवं कंप्यूटर के सामान में 35 %, कागज एवं स्टेशनरी में 40 % के व्यापार की अनुमानित गिरावट है।

भरतिया एवं खंडेलवाल ने यह भी बताया की शादियों के सीजन का व्यापार जो मकर संक्रांति के दिन 14 जनवरी से शुरू हो गया हैं तथा जिसमें आगामी ढाई महीने में लगभग 4 लाख करोड़ रुपये के व्यापार होने का अनुमान था ,उसमें विभिन्न सरकारों द्वारा शामिल होने वाले लोगों पर लगाए गए प्रतिबंधों से इस व्यापार में काफी गिरावट आई है ! अब यह अनुमान है कि व्यापार के इस वर्टिकल में आगामी ढाई महीने में लगभग 1 .25 लाख करोड़ रुपये का व्यापार ही होने की सम्भावना है जिसका अर्थ ये हुआ।कि अकेले इसी सेक्टर में 2.5 लाख करोड़ के नुकसान का अनुमान है।

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