
आषाढ़ ऋतुकाल में आनंद और विरह दोनों की अनुभूति : शीतला प्रसाद दुबे
डॉ मंजू लोढ़ा और प्रियंका ठाकुर ने किया काव्यपाठ
मुंबई। मानसून की फुहारों से आषाढ़ मास का शुभारंभ होता है। यह ऐसा ऋतुकाल है जो प्रकृति के सौन्दर्य के साथ ही आनंद और विरह दोनों का साथ साथ अनुभव कराता है। उक्त उद्गार महाराष्ट्र हिन्दी साहित्य अकादमी के कार्याध्यक्ष शीतलाप्रसाद दूबे ने व्यक्त किए। वे मुंबई के रविन्द्र नाट्य मंदिर में आयोजित मेघ मल्हार कार्यक्रम में बोल रहे थे।
वर्षा ऋतु के आगमन के उपलक्ष्य में महाकवि कालीदास की जयंती के अवसर पर महाराष्ट्र हिन्दी साहित्य अकादमी द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में अकादमी की उपाध्यक्षा डॉ मंजू लोढ़ा और प्रियंका ठाकुर ने अपनी रचनाओं के माध्यम से आषाढ़ के महत्व को उकेरा। अतिथि वक्ता -डॉ उषा मिश्रा ने हिंदी साहित्य में उल्लिखित आषाढ़ माह के दृष्टांतों से वर्षा-ऋतु का वर्णन करते हुए उसके लोकसंस्पर्श को रेखांकित किया।
यहां कार्याध्यक्ष शीतलाप्रसाद दूबे ने उत्तर प्रदेश में प्रचलित एक लोकगीत का उल्लेख करते हुए कहा कि साहित्य में मेघ मल्हार और आषाढ़-श्रावण के अलौकिक उदाहरण देखने को मिलते हैं। अनेकानेक कवियों ने वर्षा ऋतु की हरियाली और आनंद का वर्णन किया है। उन्होंने विश्वास जताया कि यह मेघ मल्हार हम सबके जीवन में सदैव आनंद और उल्लास की बारिश करते रहेंगे।
सुनो सुनो रे बादलों- काव्य गोष्ठी में गूंजी कविताएं
मेघ मल्हार कार्यक्रम में काव्य संगोष्ठी भी आनंददायक रही। काव्य पाठ की शुरूआत कवि गजानन महतपुरकर ने किया। कवि कालीदास की जयंती के अवसर पर इस कार्यक्रम में उत्तराखंड के कवि डॉ. राजेश्वर उनियाल ने काव्य के माध्यम से अभिज्ञान शाकुंतलम के रचयिता कालजयी कवि कालीदास को शब्द सुमन समर्पित किए।
यहां कवि आनंद सिंह, डॉ. राजेश्वर उनियाल, श्रीमती प्रमिला शर्मा, मार्कंडेय त्रिपाठी, प्रमोद शुक्ल, गजानन महतपुरकर एवं अरविंद शर्मा राही ने एक से बढ़कर एक गीत और कविताएं पढ़ीं जिनका श्रोताओं ने जमकर आनंद लिया। कवि प्रमोद शुक्ल की कविता सुनो सुनो रे बादलों, ढक लो सूरज तेज ने भी जमकर तालियां बटोरी। यहां गायक विनोद दूबे की अनूठी संगीतमय प्रस्तुति मेघा रे मेघा रे….ने सबका दिल जीत लिया। कार्यक्रम का सूत्र संचालन कवि अरविंद शर्मा राही ने किया वहीं अकादमी के सदस्य सचिव सचिन निंबालकर ने आभार प्रदर्शन किया।