धर्म- समाज

भगवान श्रीकृष्ण का स्वरूप ही गीता है : सुधांशु महाराज

कलश यात्रा से सत्संग महोत्सव का आगाज

सूरत। विश्व जागृति मिशन नई दिल्ली के गुजरात राज्य में स्थित सूरत ज़िले के वेसू क्षेत्र में बड़े ही सुरम्य वातावरण में स्थित बालाश्रम द्वारा प्रत्येक वर्ष विराट भक्ति सत्संग महोत्सव का आयोजन कराता है। इसी कड़ी में गुरुवार से चार दिनों तक रामलीला मैदान में देश के जाने माने आध्यात्मिक सन्त सुधांशु जी महाराज के द्वारा ज्ञान की गंगा बहेगी।

व्यास पीठ पर गुरुवर का स्वागत एवं अभिनन्दन सूरत मण्डल के संरक्षक  सुरेश मालानी एवं संरक्षक दिलीप भाई ब्रह्म भट्ट तथा राम भक्त मण्डल ने किया तथा व्यास पूजन  डूंगरदास एवं श्रीमती छोटी देवी के माध्यम से सम्पन्न हुआ। दीप प्रज्वलन में पूज्य गुरुदेव के साथ दक्षिण गुजरात विश्विद्यालय के कुलाधिपति डॉ. किशोर भाई चावड़ा एवं प्रख्यात समाजसेवी और उद्योगपति पंकज भाई कापड़िया ने किया।

उदघाटन समारोह को सम्बोधित करते हुए सुधांशु जी महाराज ने उपस्थित जनसमुदाय से कहा कि गौ, गीता, गुरु, गंगा एवम गायत्री को सनातन परंपरा में बहुत महत्व दिया गया है। भगवान श्रीकृष्ण ने गीता के बारे में बताया है कि गीता में ही मेरा निवास है, गीता मेरा हृदय है, गीता मेरे संदेशों का सार है और गीता मेरा श्रेष्ठ ज्ञान है। गीता के नाम है- गीता, गंगा, गायत्री, सीता, सत्य, सावित्री, ब्रह्मविद्या आदि। गीता के श्लोक पाठ, गोविंद भगवान का ध्यान, नाम कीर्तन करना एवं गुरु के माध्यम से गीता सुनने से करोड़ों तीर्थों का फल प्राप्त होता है। उन्होंने हर घर में गीता रखने की बात भी कही और हर दिन गीता का एक श्लोक का अवश्य पाठ करने की प्रेरणा दी।

उन्होंने आगे कहा कि गीता अनेक विधाओं का उपदेश देने वाला सदग्रंथ है। त्याग, तप, आत्मा, विज्ञान, जीवनशैली, भक्ति योग, ज्ञान, संन्यास की सुंदर व्याख्या इस ग्रंथ में है। गीता सन्देश देती है पतित को पावन करने का, जीवन रूपांतरण का एवं मरणधर्मा को मुक्ति का। भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को तप करने के लिए प्रेरित किया, जिससे वह महाभारत युद्ध जीत सके।

अपने खाली समय का उपयोग सदग्रंथ के स्वाध्याय में महापुरुषों के चिंतन से जुड़ने में करें। हर दिन खुद को मजबूत बनाएं। आलस्य से, अकर्मण्यता से, शारीरिक एवं बौद्धिक क्षमता नष्ट हो जाती है इसलिए हर दिन खुद को खुद से जगाएं। गीता विसाद से प्रसाद, कायरता से वीरता और पराजय से जय का सन्देश देती है।

बालाश्रम को पोषण देने के उद्देश्य से विराट भक्ति सत्संग का आयोजन : आचार्य रामकुमार पाठक

सूरत मण्डल के मुख्य समन्वयक आचार्य रामकुमार पाठक ने बताया कि गुरुदेव द्वारा आरम्भ किए गए बालाश्रम को पोषण देने के उद्देश्य से हर वर्ष विराट भक्ति सत्संग महोत्सव का आयोजन करवाया जाता है, ताकि लोग जुड़कर मिशन के गतिविधियों को आगे बढ़ाने में सहायक सिद्ध हो सकें।

कार्यक्रम का समय प्रातः 09.30 से 11.30 तक तथा सायंकाल 05.00 से 07.00 बजे तक रखा गया है। सत्संग का शुभारम्भ विशाल कलश यात्रा के साथ हुआ। श्री पाठक ने यह भी बताया कि सत्संग महोत्सव का समापन रविवार को सायंकालीन सत्र में गुरु आरती एवम नागरिक अभिनन्दन के साथ होगा।

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