
नेहरू आधुनिक भारत के महान दार्शनिक थे
भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू का जन्म इलाहाबाद के धनाढ्य परिवार में मोतीलाल नेहरू के घर मे हुआ था। नेहरू वकालत पढ़ने लंदन गए और वहा से बेरिस्टर बन कर भारत लौटे। आधुनिक भारत के निर्माता जवाहरलाल नेहरू ने शिक्षा,राष्ट्रीय सुरक्षा, उधोगिकरण तथा आर्थिक क्षेत्रो में तन,मन और धन लगाकर कार्य किया। जवाहरलाल नेहरू बच्चों को बहुत प्यार करते थे। जहाँ भी जाते थे बच्चे उनको घेर लेते थे।उनको चाचा नेहरू के नाम से संबोधित करते थे। आज 14 नवम्बर को बाल दिवस के रूप में पूरा देश झूम रहा है।
आधुनिक भारत के निर्माण में नेहरू की भूमिका अहम रही है।
गणतंत्र को आधुनिक रूप देने वाला भारत का वह प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू इस प्रकार आदर्शवादी था कि महज नारे लगाने वाला नेता नही हो सकता था। जवाहरलाल नेहरू के नजर में राजनीति कभी उनकी पसंदीदा और राष्ट्रनिर्माण की योजना के अनुरूप नही थी। जवाहरलाल नेहरू भारतीय कांग्रेस को केवल एक परिवर्तन कारी संगठन,राष्ट्रीय पुनरुद्धार के ऐतिहासिक उपकरण के रूप में ही देख सके। वे पार्टी को महज चुनाव जीतने वाली मशीन से अधिक कारगर बनाना चाहते थे। वे चाहते थे कि राष्ट्रवादी आंदोलन वाली कांग्रेस आजाद भारत मे भी अपनी ही ऐतिहासिक भूमिका निभाए। नेहरू चाहते थे कि हमारा कांग्रेस पार्टी संगठन आम पार्टी से कुछ ऊपर होनी चाहिए और उसे धैर्य तथा अपनी निष्काम सेवा से लोगो का विश्वास जितना चाहिए।
वे जहा भी जाते थे बच्चों को दोनों हाथों से ट्रॉफी और सेव बड़ी विन्रमता से देते थे।वो मन ही मन खुश होते थे। जिस तरह से नेहरू सब बच्चों को प्यार और दुलार करते थे।उतना ही देश उन्हें दिल से चाहता था। उनके भाषण में लफ्फाजी नही होती थी।अगर प्रचारक नेहरू कभी कभी रोचक बातें करने वाले लगते तो उसकी वजह वह थी कि वे अपने ख्यालों के भारत को लोगो के साथ रखना चाहते थे।
1957 के दूसरे आम चुनाव के दौरान उनके भाषण के इस अंश पर ध्यान करे।चंद रोज में चुनाव सम्पन्न हो जाएंगे। मुझे दूसरे मुद्दों में दिलचस्पी है और मैं चाहता हूँ कि आप उन्हें समझाने की कोशिश करे। हमे एक दूसरे को समझना चाहिए क्योकि हंमे बड़े काम करने है। हमे बहुत लंबे समय के बाद भारत मे बड़े काम करने का अवसर मिला है। लेकिन सरकार अकेले कुछ नही कर सकती। लोगो को राष्ट्र निर्माण के काम मे हिस्सा बांटना चाहिए।
नेहरु आधुनिक भारत के महान दार्शनिक थे। जिन्होंने दलगत राजनीति के संबंध में घुटने नही टेके। प्रधानमंत्री नेहरू ने पहली बार संसद में 1959 में यह स्वीकार किया कि चीन ने जिस सड़क का निर्माण किया है । वह भारतीय क्षेत्र अक्साई चीन से होकर गुजरती है। 1962 में चीन ने भारत पर हमला कर दिया और नेहरू ने अपने सैन्य ताकत कमजोर होने के कारण देश की संपत्ति और जवानों की क्षति के पक्ष में नही थे,जिसके चलते चीन के साथ भाईचारा कायम रखते हुए हिंदी चीनी भाई भाई का नारा दिया। यह उनकी देश के प्रति और फौजियों के प्रति जिज्ञासा रही है।
नेहरू के साये में राजनीतिक तैयार हो रही थी।ऐसी राजनीतिक जो अपनी तानाशाही तौर तरीको और बेहद करिश्माई अंदाज से राष्ट्रीय मानस पर ध्यान केंद्रित करने वाली थी। नेहरू प्रारम्परिक अर्थों में कोई घाघ राजनीतिक भले ही नही रहे हो,पर वे बहुत प्रशिक्षक थे। भारत के दिलो दिमाग पर राज किया।
जवाहरलाल नेहरू ने देश को अपने नजरिये से बांधे रखा।उनका एक सपना था कि देश गुलामी की बेड़ियों से जकड़ा हुआ था अब हमे आजादी मिली है। हमे सदियों बात भारत के लिए काम करने का सुनहरा मौका मिला है। हमे देश की लाचारी दूर करनी है। देश में आजाद भारत के प्रधानमंत्री नेहरू सज्जन पुरुष के रूप में उभरे।
देश के आम चुनाव में अपने पिता के निर्वाचन क्षेत्र फूलपुर और अपने पति फिरोज गांधी के चुनाव क्षेत्र रायबरेली में अनधिकृत प्रचार प्रबंधक थी। आराम हराम का नारा देने वाले जवाहरलाल नेहरू ने 1964 तक भारत के प्रधानमंत्री रहे। उनके उत्तराधिकारी के रूप में इंदिरा गांधी ने देश की सत्ता पर काबिज हुई। उनका व्यक्तित्व अलग ही था उनका मानना था कि हम जनता के पैरोकार है। उन पर किसी का दबाव हावी नही हो सकता। नेहरू ने प्रोधोगिकी और आर्थिक सुधार की पहल की गई। नेहरू का इतिहास विराट था।
( कांतिलाल मांडोत )