धर्म- समाज

जैन धर्म की प्राचीन परंपरा को पुनः उजागर करने के उद्देश्य से एक अनोखा कार्य, दीक्षार्थियों के हाथों से किया “बेठु वर्षीदान”

13-दीक्षाार्थी (मुमुक्षरत्नो) द्वारा बेठु वर्षीदान का एक अनोखा आयोजन किया गया।

सूरत। जैन धर्म में जब कोई आत्मा संसार को छोड़ती है और तपस्वी जीवन प्राप्त करती है, तो वह साधु या साध्वी बनने से पहले वर्षीदान का एक शुभ कार्य पूरा करती है।

श्री सहस्रफना पार्श्वनाथ ट्रस्ट द्वारा ऐसे दीक्षार्थियों जो सूरत और सूरत के बाहर से दीक्षा लेने जा रहे हैं। ऐसे 13-दीक्षाार्थी (मुमुक्षरत्नो) द्वारा बेठु वर्षीदान का एक अनोखा आयोजन किया गया। जिसमें 18 से अधिक विभिन्न जातियों के 500 से अधिक निराश्रित परिवारों और सूरत शहर के सभी शिखरबंदी जिनालयों के 200 से अधिक पुजारियों को यह बेठु वर्षीदान किया गया।

सूरत के संगीतकार विनय भाई एवं उनकी टीम ने भगवान के विभिन्न गीतों की सुरावली के साथ मुमुक्षुरत्न द्वारा वर्षीदान के रूप में इन सभी परिवारों को जीवन की सभी चीजें प्रदान कीं। इन सभी परिवारों ने भी खुले दिल से 13 मुमुक्षुरत्नों को दुआ और आशीर्वाद दिया।

इस योजना के पीछे मंशा जरूरतमंद परिवारों तक पहुंचना है। यह पहली बार था कि सूरत में 13 मुमुक्षुरातों ने बेठु वर्षीदान का आयोजन किया। संपूर्ण आयोजन श्री सहस्रफना पार्श्वनाथ ट्रस्ट, श्री महावीर नगरी, गोपीपुरा, सूरत द्वारा आयोजित किया गया था।

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