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भारत में मुक्त बाजार के नए युग की शुरुआत: आर्थिक सर्वेक्षण

केंद्र सरकार के नए कृषि कानूनों को काला कानून बताते हुए किसान पिछले दो महीने से अधिक समय से राजधानी दिल्ली को घेर कर बैठे हैं। वहीं शुक्रवार को जारी अपने आर्थिक सर्वेक्षण में सरकार ने एक बार फिर कृषि कानूनों को मुक्त बाजारों के नए युग की शुरुआत करार दिया और दावा किया कि ये कानून वन इंडिया, वन मार्केट बनाने में मदद करेंगे। इसके अलावा आर्थिक सर्वेक्षण ने आशा व्यक्त की है कि वित्त वर्ष 2022 में जीडीपी 11 प्रतिशत की दर से बढ़ेगा और अर्थव्यवस्था में वी-शेप में वृद्धि देखी जाएगी। साथ ही पांच ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने के लिए कई बातों पर विशेष ध्यान दिया गया है।

बजट सत्र के पहले दिन वित्त मंत्री निर्मला सीताराम ने संसद में आर्थिक सर्वेक्षण 2020-201 प्रस्तुत किया। सर्वेक्षण के अनुसार भारतीय अर्थव्यवस्था सदी के सबसे बुरे संकट का सामना कर रही है और ऐसे कठिन समय में कृषि और किसान इस साल अर्थव्यवस्था के लिए सबसे बड़ा आधार होंगे, जबकि कोरोना महामारी के कारण लागू तालाबंदी के कारण सेवा, विनिर्माण और निर्माण क्षेत्रों को गंभीर नुकसान हुआ है। भारतीय अर्थव्यवस्था को चीन से भी तेज चलाने के लिए कई कारकों पर विशेष ध्यान दिया गया है।

कृषि कानून वन इन्डिया, वन मार्केट के लिए सहायक

नए कृषि कानूनों के कारण किसान पिछले दो महीनों से दिल्ली में दंगल शुरू कर हैं और किसान कृषि कानूनों को रद्द करने के लिए आंदोलन कर रहे हैं। हालाँकि आर्थिक सर्वेक्षण में सरकार ने एक बार फिर कृषि कानूनों को कृषि क्षेत्र का ऐतिहासिक सुधार करार दिया है। वित्त मंत्री ने कहा कि ये कृषि कानून भारत में छोटे और सीमांत किसानों के जीवन को बेहतर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। यह मुक्त बाजार के नए युग की शुरुआत है। ये कानून वन इंडिया, वन मार्केट बनाने में मदद करेंगे और किसानों को अपनी उपज बेचने के लिए अधिक अवसर प्रदान करेंगे।

85 प्रतिशत छोटे- सीमांत किसानों के लिए लाया गया कृषि कानून

सर्वेक्षण में कहा गया है कि ये कानून मुख्य रूप से छोटे और सीमांत किसानों के लाभ के लिए लाया गया है। देश के कुल किसानों में से 85 प्रमिशत छोटे और सीमांत किसान हैं। कृषि क्षेत्र में वर्तमान कानूनों ने किसानों को स्थानीय बाजारों और बिचौलियों के लिए गुलाम बना दिया था। ये कानून किसानों को अपनी उपज कहीं भी बेचने की स्वतंत्रता देगा। कृषि उत्पादों के लिए वन बाजार बनाने में मदद करने के अलावा नए सुधार किसानों को फसल की कीमतें बढ़ाने, रोजगार सृजित करने और आय बढ़ाने में मदद करेंगे।

अगले साल कृषि क्षेत्र की विकास 3.4 फीसदी रहने की संभावना

सर्वेक्षण में कहा गया है कि देश में एपीएमसी का प्रबंधन चिंताजनक है और उनका बाजार में एकाधिकार है। 2011-12 से 2019-20 के सर्वेक्षणों ने इस परिप्रेक्ष्य में सुधार पर जोर दिया है। इकोनॉमिक्स सर्वे के मुताबिक इस साल कृषि क्षेत्र की विकास दर 3.4 फीसदी रहने की उम्मीद है। जीडीपी में इसकी हिस्सेदारी भी बढ़ेगी। 2019-20 में यह 17.8.फीसदी था, जो इस साल बढ़कर 19.9 फीसदी होने की उम्मीद है।

अगले साल नॉमिनल जीडीपी 15.4 फीसदी रहने की संभावना

आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार भारत में अगले वित्तीय वर्ष में 11 प्रतिशत की वृद्धि दर के साथ रीबाउंड होने की संभावना है, क्योंकि भारतीय अर्थव्यवस्था कोरोना महामारी से वी-शेप रीकवरी देखने को मिल सकती है। मार्च 2021 के अंत में चालू वित्त वर्ष के लिए जीडीपी रिकॉर्ड माइनस 7.7 प्रतिशत वृद्धि दर की संभावना व्यक्त की गई है। भारत ने पिछली बार वित्त वर्ष 1978-21 के लिए माइनस 7.7 प्रतिशत वृद्धि दर का अंदाज व्यक्त करने के साथ 2021-22 के लिए देश का वास्तविक जीडीपी वृद्धिदर 11 प्रतिशत और नोमिनल जीडीपी 15.4 प्रतिशत रहने की संभावना व्यक्त की है।

17 वर्षों के बाद चालू खाते में अधिशेष दिखने की उम्मीद

आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार देश में 17 साल के समय के बाद चालू वित्तीय वर्ष में चालू खाते में अधिशेष दिखने की उम्मीद है। चालू वित्त वर्ष के पहले छह महीनों में चालू खाता अधिशेष सकल घरेलू उत्पाद का 3.1 प्रतिशत था, जो मजबूत सेवा निर्यात द्वारा समर्थित था। भारत अगले दो साल में दुनिया में चीन से भी आगे सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था बनने की उम्मीद है।

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