दिल्ली के IIC में ‘व्हेयर द डेड कम अलाइव’ उपन्यास का विमोचन
दिल्ली के इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में सुगंधा पल्लन द्वारा लिखी गयी किताब ‘व्हेयर द डेड कम अलाइव’ हाल ही में लांच की गयी है। यह किताब युकियोटो पब्लिशिंग द्वारा पब्लिश की गयी है। यह कार्यक्रम युकियोटो पब्लिशिंग द्वारा ही आयोजित किया गया था जिसमे देश भर के कई लेखकों ने भाग लिया और अपने द्वारा लिखी गई पुस्तकों के बारे में बात की।
सुगंधा पल्लन की किताब ‘व्हेयर द डेड कम अलाइव’ एक सुपरनैचरल थ्रिलर नावेल है जिसमे लेखिका सुगंधा पल्लन रेसुररेक्शन या मरने के बाद वापिस ज़िंदा हो जाने के विषय को एक्स्प्लोर करती हैं। रेसुररेक्शन का विचार अक्सर मानव मन को आकर्षित करता रहा है।
उपन्यास ‘व्हेयर द डेड कम अलाइव’ की कहानी मृत्यु और पुनरुत्थान को कुछ इस तरह से एक्स्प्लोर करती है की पुरे समय एक रहस्यपूर्ण स्वर बना रहे। यह तीन दोस्तों की कहानी है जिनकी ज़िन्दगी एक घटना के बाद बदल जाती है। उन्हें कुछ ऐसा करना पड़ता है जिसकी उन्होंने कभी कल्पना भी नहीं की होगी और अंततः उन्हें इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ती है।
यह लेखिका सुगंधा पल्लन की दूसरी किताब और युकियोटो पब्लिशिंग द्वारा प्रकाशित उनका पहला उपन्यास है। उन्होंने इससे पहले ‘मदर, गॉड, मी एंड द वर्ल्ड’ नाम से कविताओं का एक संकलन भी लिखा है। दोनों अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विभिन्न प्लेटफार्मों पर उपलब्ध हैं।
उन्हें 2022 में युकियोटो लिटरेरी अवार्ड्स द्वारा ‘पोएट ऑफ द ईयर’ पुरस्कार से सम्मानित किया गया। उनकी कविताएँ कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय संकलनों में प्रकाशित हुई हैं। वह कई ओपन माइक का भी हिस्सा रही हैं।
उन्होंने प्रतिष्ठित भारतीय जनसंचार संस्थान से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर डिप्लोमा हासिल किया और इसके तुरंत बाद पत्रकारिता में कदम रखा। सुगंधा एक पेशेवर पत्रकार रही हैं और उन्हें राष्ट्रीय दैनिक समाचार पत्रों और सार्वजनिक सेवा प्रसारक डीडी इंडिया में काम करने का अनुभव है। उनके द्वारा लिखी गई रिपोर्ट और लेख कई समाचार पत्रों और पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए हैं।
उपन्यास पर वापस आते हैं तो किताब में एक नहीं दो नहीं बल्कि कई पुनरुत्थान हैं। वह इस किताब में पंथों और परंपराओं के विचार की भी पड़ताल करती हैं और जब आप मौत को इस समीकरण में डालते हैं, तो आप एक रोमांचक यात्रा के लिए तैयार होते हैं। उपन्यास में कई मोड़ आपको एक के बाद एक पन्ने पलटने पर मजबूर कर देंगे।
लिखने की शैली आपको अंत तक बांधे रखती है और जब क्लाइमेक्स आता है तो यह आपको आश्चर्यचकित कर देता है। किरदार आपस में जुड़े हुए हैं और यह देखकर आश्चर्य होता है कि वे अपनी भूमिकाओं में कैसे फिट बैठते हैं। इस किताब में हर किसी के लिए कुछ न कुछ है। कोई भी चरित्र अनावश्यक नहीं है।