धर्म- समाज

कारगिल विजय दिवस पर जांबाज सैनिकों की वीरता, शौर्य और बलिदान और मातृभूमि के अमर शहीदों को नमन

1999 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी बस लेकर लाहौर गए थे और पाकिस्तान के समकक्ष नवाज शरीफ से मुलाकात की थी। इस दौरान पूर्व प्रधानमंत्री के साथ कैबिनेट मंत्री भी गए थे। एक तरफ पाकिस्तान के साथ संबंध सुधर रहे थे और दूसरी तरफ पाकिस्तान की सेना भारत के तरफ षड्यंत्र रच रही थी। हर बार की तरह इस बार भी पाकिस्तान ने भारत की पीठ में छुरा भोंकने का षड्यंत्र कर ही दिया। 1972 में शिमला समझौता हुआ था कि ठंड के चलते भारत पाकिस्तान की सेना पीछे हट जाती है। लेकिन इस बार परवेज मुशर्रफ भारत से बातचीत के लिए निमंत्रण पर भारत आये ,लेकिन बिना बातचीत किए ही वापस पाकिस्तान लौट गए। लेकिन पाक सेना के जनरल परवेज मुशर्रफ ने सैनिको को कारगिल के सामरिक रूप में महत्वपूर्ण इलाको में भेजकर कब्जा करवा लिया था। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को गले लगाकर धोखा दे दिया। द्विपक्षीय संबंधों में जो आस जगी थी। वह आस निराशा में तब्दील हो गई। देश मे लोगो को यह विश्वास हो गया है कि भारत पाकिस्तान के बीच बातचीत होगी तो कुछ तो हल निकलेगा। लेकिन हल नही निकला और कारगिल युद्ध की विभीषिका झेलनी पड़ी। पाक सेना ने कब्जा जमाते ही एक चरवाह ने जानकारी दी। उसके बाद भारतीय सेना हरकत में आ गई। हमारे वीर सेनिको ने कई ऑपरेशन पार किए। दुश्मन देश के सैनिकों को ढेर कर दिया।

अटल बिहारी वाजपेयी ने देश को संबोधित कर कहा कि पाकिस्तान ने हमारे देश पर हमला कर दिया है। आप धैर्य रखें। एकजुट होकर रहे। हमारे जांबाज सैनिक मुहतोड़ जवाब दे रहे है। पहले भारतीय सेना को बर्बरता की तरह मारा जाने लगा। उसके बाद जांबाज सैनिकों का खून खोल उठा। उसके बाद कब्जे वाले इलाकों को अपने पास ले लिया और ऑपरेशन में एक के बाद एक सैनिकों को भारतीय फौज से ढेर किया। भारत ने जब जब पाकिस्तान से दोस्ती का हाथ बढ़ाया है तब तब पाकिस्तान ने आतंकवाद को प्रोत्साहित किया है और कश्मीर में हमले तेज कराये है। भारतीय सेनिको की शहादत के बावजूद भारतीय सैनिकों ने पाकिस्तान के कब्जे वाले इलाकों को उससे छीन लिया। पाकिस्तान ने चार बार भारत पर हमला किया है,लेकिन भारत ने कभी भी पाकिस्तान या अन्य देशों पर हमला नही किया। आज 26 जुलाई विजय दिवस के रूप में भारत और विदेशो में रहने वाले भारतीय बड़े धूमधाम से मनाते है। कारगिल युद्ध ऑपरेशन विजय के नाम से भी जाना जाता है। भारत को मिली जीत को 22 साल पूरे हो गए है।

आज 22 साल पूरे होने पर देश मे जश्न की शुरुआत हो चुकी है। हर भारतवासी के मन मे खुशी है। हर वर्ष आज के दिन दीपक जलाकर श्रद्धांजलि अर्पित की जाती है। हम अपने स्वार्थ के लिए एक दूसरे पर दोषारोपण कर गाली गलौज कर मन की भड़ास निकालते है। नेता सैनिको के नाम पर अपनी राजनीति को पटरी पर लाने के लिए सैनिको के नाम का उपयोग करते है। एक दूसरे से हिलमिल कर रहने वाले जवानों के लिए देश सर्वोपरि है। अनेक जाति और अलग अलग धर्म के सैनिकों की मंजिल एक है और वो है देश की सुरक्षा करना। देश की सुरक्षा करते अनेक सैनिकों की माताओ की गोद सुनी हो गई,बहन का भाई बिछड़ गया और किसी का पति शहीद हो गया। सीने पर पत्थर रखकर जीने वाले उन शहीद के परिवार वालो को कभी भी संवेदना के दो शब्द समर्पित नही किया जाता है। देश के वीर जवानों की वजह से हम हमारा परिवार और हमारा देश सुरक्षित है। टाइगर हिल और दूसरी बड़ी लड़ाइयों को याद किया जाता है। इंडिया गेट पर अमर जवान ज्योति पर शहीदो को श्रद्धांजलि अर्पित की जाती है। लेकिन संवेदना के दो शब्द नही बोले जाते है।

लिहाजा,कारगिल युद्ध ऊँचाई से लड़ा गया था। दरअसल, जाबांज तो देश के जवान थे,जिन्होंने नीचे रहकर युद्ध लडऩे के बाद विजय हासिल की थी। युद्ध साहस,राष्ट्रप्रेम,बलिदान और कर्तव्य की भावना से लड़े जाते है। हमारे देश मे ऐसे युवा सैनिक भरे पड़े है।मातृभूमि पर अपना सर्वस्व न्यौछावर करने वाले जांबाज सैनिक हमारे बीच नही है, लेकिन हर वर्ष आज के दिन देश के करोडो लोग उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित कर याद करते रहेंगे। कारगिल युद्ध मे 527 सैनिक शहीद हुए थे।1300 सैनिक घायल हो गए। सैनिको ने शौर्य ,बलिदान की परम्परा का निर्वहन किया। जिसकी सौगंध हर सैनिक तिरंगे के समक्ष लेता है। सैनिको को सामने दुश्मन ही दिखते है। भारत के तिरंगे में लिपटे शहीद के शव को गांव में लाया जाता है तो उस सुरवीर की शहादत पर पूरा गांव आंसू बहाता है। क्योंकि वे हमारी सुरक्षा करते हुए प्राणों को देश के नाम किया है। रणबांकुरों ने अपने परिवार को लौटने का वादा करके देश की सरहद पर गए। वे लौटे, मगर लकड़ी के ताबुज में। उसी तिरंगे में लिपटे अपनी चौखट पर आते है जिन्होंने जिसकी रक्षा की सौगंध उठाई थी। मातृभूमि की रक्षा करते अपने आप का बलिदान देकर इस माटी का कर्ज चुकाने वालो को देश हमेशा विजय दिवस के दिन याद करेगा। शौर्यवीर,बलिदान और मातृभूमि के अमर जवानों को शत शत नमन।

(कांतिलाल मांडोत)

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