धर्म- समाज

पुण्य साथ देता है नाम नहीं : आचार्य श्री जिनमणिप्रभसूरीश्वरजी

जीवन में किसी भी पदार्थ, वस्तु या व्यक्ति का संयोग है तो वियोग भी अनिवार्य है

सूरत (गुजरात) : शहर के पाल में श्री कुशल कांति खरतरगच्छ जैन श्री संघ पाल स्थित श्री कुशल कांति खरतरगच्छ भवन में युग दिवाकर खरतरगच्छाधिपति आचार्य श्री जिनमणिप्रभसूरीश्वरजी म.सा. ने मंगलवार 24 सितंबर को प्रवचन में कहा कि शरीर का त्याग होना ही है। जिसका संयोग है, उसका वियोग अनिवार्य है। किसी भी पदार्थ, वस्तु या व्यक्ति का अगर जीवन में संयोग हुआ है तो वह आज नहीं तो कल वियोग में बदलेगा। लेकिन हमें प्रयास करना है कि वियोग दु:खदायी ना हो, वियोग सुखदायी हो, समाधी, प्रसन्नता के साथ हो।

हम दान से पुण्य चाहते है या नाम?

उन्होंने कहा कि हम दान से पुण्य चाहते है या नाम? पुण्य कदम- कदम पर नजर आता है, लेकिन यह तभी दिखायी देता है जब अपने अंदर समझ, श्रद्धा हो। इसका उदाहरण देते हुए कहा कि दो दुकानें आपस पड़ोस में होने के बावजूद एक की चलती है, दूसरे की नहीं। उन्होंने कहा कि पुण्य साथ देता है, नाम कितना साथ देगा। नाम वहीं देखता है जिनका होता है। इसलिए समझ महत्वपूर्ण है। समझ के आधार पर ही हमारे अंदर रस पैदा हो सकता है।

संघ के अध्यक्ष ओमप्रकाश मंडोवरा और युवा परिषद के अध्यक्ष मनोज देसाई ने विस्तृत जानकारी देते हुए कहा कि सूरत पाल में विराजित खरतरगच्छाधिपति आचार्य श्री जिनमणिप्रभसूरीश्वरजी म.सा. को बाड़मेर श्री जैन श्वेतांबर खरतरगच्छ चार्तुमास कमेटी द्वारा 2025 के चातुर्मास बाड़मेर आराधना में करने की विनती अध्यक्ष अशोक धारीवाल के नेतृत्व में चातुर्मास कमेटी ने की। श्री कुशल कांति खरतरगच्छ जैन श्री संघ पाल द्वारा उनका बहुमान किया गया।

श्री कुशल कांति खरतरगच्छ भवन में पाल में संघशास्ता वर्षावास राष्ट्रीय अधिवेशन आचार्य जिनमणिप्रभसूरीश्वरजी के पावन निश्रा में 27 और 28 सितंबर को होगा।

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