धर्म- समाज

समायोजन करना ही जीवन को सार्थक करने का आधार : आचार्य जिनमणिप्रभसूरीश्वरजी

केयुप व केएमपी के 1500 से ज्यादा सदस्यों ने राष्ट्रीय सम्मेलन में हिस्सा लिया

सूरत। शहर के पाल में श्री कुशल कांति खरतरगच्छ जैन श्री संघ पाल स्थित श्री कुशल कांति खरतरगच्छ भवन में पाल में दो दिवसीय संघशास्ता वर्षावास राष्ट्रीय अधिवेशन अखिल भारतीय खरतरगच्छ युवा परिषद एवं अखिल भारतीय खरतरगच्छ महिला परिषद द्वारा आचार्य जिनमणिप्रभसूरीश्वरजी के पावन निश्रा में हुआ।

शनिवार को राष्ट्रीय अधिवेशन में मार्गदर्शन करते हुए आचार्य जिनमणिप्रभसूरीश्वरजी कहा कि समायोजन करना ही जीवन को सार्थक करने का आधार है। समायोजन घर, परिवार सर्वत्र करना होता है। अधिवेशन का अर्थ है शक्ति प्रदर्शन। यह अपने आप में बहुत महत्वपूर्ण है। आचार्यश्री ने कहा कि एकता में सबसे ज्यादा बाधक तत्व है ईगो। ईगो के कारण होनेवाला नुकसान खतरनाक है।

मनितप्रभ म. सा. ने नारी शक्ति का माहात्म बताते हुए कहा कि तीर्थकारों को भी नारी के कोख से जन्म लेना पड़ता है। नारी का सम्मान करना चाहिए। जीवन का अर्थ है प्रतिकूलता में भी अनुकूलता की साधना। पदार्थ का स्तर उंचा उठता है तो जीवन का स्तर नीचे आ जाता है। गति के साथ प्रगति बहुत जरूरी है।

केएमपी पाल शाखा की अध्यक्षा संगीता पारख ने स्वागत संबोधन में कहा कि विहार सेवा हो, गौचर सेवा हो हमें आत्मा से जागृत होना है। 2021 में पाल केएमपी शुरू हुई। केएमपी राष्ट्रीय अध्यक्षा सरोजजी ने अभिव्यक्ति व्यक्त करते हुए कहा कि नारी शक्ति को संगठित कर दिया जाए तो यह सामाजिक ढांचे की नींव को मजबूत करती है। इसी उद्देश से 2016 में केएमपी की स्थापना की गई। इस अवसर पर राष्ट्रीय समिति द्वारा अखिल भारतीय खरतरगच्छ युवा परिषद एवं अखिल भारतीय खरतरगच्छ महिला परिषद पाल का स्मृति चिन्ह देकर बहुमान किया गया।

केयुप के अध्यक्ष मनोज देसाई ने बताया कि केयुप व केएमपी के दो दिवसीय शिविर में देश भर की लगभग 107 शाखाओं तथा केएमपी की 60 शाखाओं के 1500 से ज्यादा  सदस्यों ने राष्ट्रीय सम्मेलन में हिस्सा लिया। कई शाखाओं के युवाओं ने सम्मलेन में केयुप व केएमपी के विकास व विस्तार के लिए अपने प्रभावशाली विचार रखे। सम्मेलन के समापन के अवसर पर आज रविवार को संघ स्वामीवत्सल्य का आयोजन रखा है।आज देश भर की ज्ञान वाटिका के 500 प्रतिभाशाली बच्चो का आचार्य प्रवर की निश्रा में बहुमान किया जाएगा।

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