कपड़ा व्यापारियों को जीएसटी दर बढ़ोत्तरी के साथ ही ओमिक्रॉन का भी सता रहा डर
कपड़ा , ड्रेस मटीरियल और कुर्तियों का कारोबार करने वाले 12 फीसदी जीएसटी को लेकर चिंतित हैं। ड्रेस मटेरियल्स और कुर्तियों का कारोबार करने वाले व्यापारियों के लिए रमजान सबसे बड़ा मौसम होता है। पिछले दो साल में कोरोना महामारी के चलते सबसे ज्यादा असर इस पर्व पर देखने को मिला। यह धंधा पूरी तरह ठप हो गया है। कारोबारियों का कहना है कि स्टॉक ज्यादा होने से अब वे कम दाम पर बेच रहे हैं। पिछले डेढ़ साल से शादियों का सीजन भी फेल हो गया है। अब जबकि कारोबार में थोड़ा सुधार हुआ है तो सरकार कपड़ों पर 12 फीसदी जीएसटी लगाने जा रही है। ऐसे जीएसटी को लेकर व्यापारी परेशान हैं।
सूरत में 40 से 50 फीसदी व्यापारी ड्रेस मटेरियल का व्यापार करते हैं। रिंग रोड पर करीब 40 से 50 फीसदी व्यापारी ड्रेस मटेरियल और कुर्तियों के कारोबार से जुड़े हैं। जो हर दिन 80 करोड़ से ज्यादा का बिजनेस करते है। पिछले डेढ़ साल में ड्रेस मटीरियल और कुर्तियों का कारोबार पूरी तरह से प्रभावित हुआ है। अधिक स्टॉक और कम मांग के कारण व्यापारी कम दरों पर बेचने को मजबूर हैं। व्यापारी पहले से ही कोरोना के नए वैरिएंट ओमिक्रोन को लेकर चिंतित हैं। ऐसे में सरकार 1 जनवरी से कपड़ों पर 12 फीसदी जीएसटी लाने जा रही है।
व्यापारियों ने इस बार जीएसटी दरों में बढ़ोतरी का विरोध करने का फैसला किया है। 15 दिसंबर के बाद व्यापारी खुलेआम विरोध कर सकते हैं। व्यापारियों का कहना है कि जीएसटी दरों में बढ़ोतरी के साथ-साथ व्यापारियों को इस बात की भी चिंता है कि कोरोना के नए वैरिएंट से कारोबार में मंदी आएगी। हाल ही में कपड़ा मंत्री दर्शना जरदोश और प्रदेश अध्यक्ष सीआर पाटिल ने जीएसटी के लिए व्यापारियों की मांगों से वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को अवगत कराया है, जिससे सकारात्मक परिणाम की उम्मीद कर रहे हैं।