धर्म- समाज

माँ के चरणों में ही स्वर्ग है : आचार्य श्री जिनमणिप्रभसूरीश्वरजी

जिंदगी में पहला और सबसे ज्यादा उपहार किसी के है तो वह मां के है

सूरत। शहर के पाल में श्री कुशल कांति खरतरगच्छ जैन श्री संघ पाल स्थित श्री कुशल कांति खरतरगच्छ भवन में युग दिवाकर खरतरगच्छाधिपति आचार्य श्री जिनमणिप्रभसूरीश्वरजी म. सा. ने आज रविवार 28 जुलाई को माँ के चरणों में ही स्वर्ग है पारिवारिक विषय पर प्रवचन में कहा कि जिंदगी में पहला और सबसे ज्यादा उपकार किसी के है तो वह मां के है। जिन्होंने हमें जन्म दिया, जीवन दिया, संस्कार दिए, रास्ता दिखाया। जिसके चलते हम आज सबकुछ कर पा रहे है।

मां के उपकारों की कथा अनंत है। हमारे लिए मां ने अपने सुख का, समय, जीवन का बलिदान दिया। हमें संकल्प लेना चाहिए कि हम माता – पिता के अश्रुओं के निमित्त नहीं बनेंगे। संसार में कभी भी पुत्र को अपने पिता से, पुत्र को अपनी मां से अलग करने का काम नहीं करना चाहिए। मां के उपकार अगनित है, मां के उपकार अनंत है। मां के उपकारों का कोई लेखा जोखा नहीं हो सकता है। मां चरणों में जीवन समर्पण करना चाहिए। जो व्यक्ति अपनी मां का नहीं हो सकता, वह और किसी का कैसे हो सकता है?

उपाध्याय श्री मनितप्रभसागरजी ने दोपहर में बड़ों का शिविर लिया तथा मुनि मृगांकप्रभसागरजी म.सा. तथा मुनि मंथनप्रभसागरजी म.सा. ने बच्चों का शिविर लिया। जिसमें कल्पनातीत युवाओं व बच्चों ने भाग लिया। संघ के अध्यक्ष ओमप्रकाश मंडोवरा तथा युवा परिषद के अध्यक्ष मनोज देसाई ने विस्तृत जानकारी देते हुए कहा कि आज सिद्धितप का एक पारणा पूरा हो गया। आज से गौतम गणधर तप का प्रारंभ हुआ।

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