
जीवन में किया गया पुण्य रक्षा कवच बनकर मनुष्य को सुरक्षित करता है : संत सुधांशुजी महाराज
सूर्यनगरी सूरत के रामलीला मैदान में गुरुदेव द्वारा बह रही ज्ञान की गंगा
सूरत। विश्व जागृति मिशन सूरत मण्डल द्वारा आयोजित चार दिवसीय विराट भक्ति सत्संग महोत्सव के दूसरे दिवस के प्रातःकालीन सत्संग में व्यास पीठ पर गुरुवर परम् पूज्य सुधांशु जी महाराज के आगमन पर उनका अभिनन्दन उद्योगपति सर्वश्री सावरमल बुधिया, श्याम मन्दिर के पूर्व अध्यक्ष प्रकाश तोती एवं अन्य गण्यमान लोगों ने किया।
सुधांशु जी महाराज ने धर्मप्रेमियों एवं गुरु भक्तों को संबोधित करते हुए कहा कि जीव कर्म बंधन से बंधा है। शुभ और अशुभ कर्म ही मनुष्य का सौभाग्य या दुर्भाग्य बनकर सामने आता है। पाप अनेक रूपों में एक साथ व्यक्ति को दुख देने के लिए उपस्थित होता है। मनुष्य द्वारा किया गया शुभ कर्म रक्षा कवच बनकर उसके सामने आ जाता है। व्यक्ति पाप कर्म करता हुआ शुभ फल की इच्छा करता है जो असंभव है। बुद्धि सात्विक हो तो व्यक्ति सत्कर्म करने की ओर प्रवृत्त होता है। सात्विक आहार , सात्विक चिंतन , सत्संगति, सेवा और पवित्र ग्रंथों के स्वाध्याय से ही व्यक्ति सात्विक होता है।
उन्होंने कहा कि माया हमें संसार से बांधती है। एक अदृश्य बंधन जिससे व्यक्ति दुख पाता हुआ भी उसे छोड़ना नहीं चाहता है, यह माया का ही स्वरूप है। परिवार और अपनों के लिए व्यक्ति गुनाह पर गुनाह करता जाता है लेकिन जिन्होंने अपने कर्म से खुद को ऊंचा कर लिया उसे सही ढंग में जीना आ गया। वह परमात्मा सभी के हृदय में निवास करता है। परमात्मा सृष्टि का संचालन इस प्रकार करता है जैसे यंत्र पर रखी हुई वस्तु घूमती है। एक परमात्मा की शरणागति से परम आनंद, शान्ति एवं परमप्रद की प्राप्ति होती है।
आचार्य रामकुमार पाठक ने बताया कि गुजरात राज्य के सूरत में विश्व जागृति मिशन बालाश्रम द्वारा संचालित देश भर में पल रहे निर्धन और अति गरीब देवदूत बच्चों को मुख्य धारा में जोड़ने का कार्य किया जा रहा है। इसी कड़ी में कुछ देवदूत नौनिहालों को पोषण देने का कार्य भी बड़े ही अच्छे से किया जा रहा है। इन्हीं बच्चों के उज्जवल भविष्य को देखते हुए यह विराट भक्ति सत्संग आयोजित किया गया है।