रामलीला में हुआ दशरथ मरण, भरत मनावन व सीता हरण का मार्मिक मंचन
सूरत। वेसू के रामलीला मैदान में श्री आदर्श रामलीला ट्रस्ट द्वारा आयोजित रामलीला में दशरथ मरण, भरत मनावन लीला से लेकर सीता हरण तक के प्रसंग का मंचन हुआ। ट्रस्ट मंत्री अनिल अग्रवाल ने रामलीला प्रसंग की जानकारी देते हुए बताया कि कैकयी द्वारा जब श्रीराम के वन जाने का वरदान मांगा जाता है तो दशरथ मूर्छित हो जाते हैं। माता कैकयी के वचन का पालन करने के लिए श्रीराम, लक्ष्मण और उनके साथ माता सीता वन को प्रस्थान करते हैं।
श्रीराम के वियोग में राजा दशरथ अपना प्राण त्याग देते हैं। भरतजी को ननिहाल में जब राजा दशरथ के स्वर्गवास की सूचना मिलती है तब वह दुखी होते हैं। अयोध्या आकर उन्हें श्रीराम के वन गमन की जानकारी मिलती है तब वह श्रीराम को मनाने के लिए चित्रकूट जाते हैं लेकिन श्रीराम अयोध्या वापस जाने से मना कर देते हैं और जिसके बाद भरत उनकी चरण पादुका लेकर अयोध्या लौट लोट आते है। वन यात्रा में भगवान श्री राम को अत्री ,अनुसूया, सुतीक्षण अगस्त और विभिन्न ऋषि मुनियों से भेंट होती है।
वहीं रावण मारीच की सहायता से पंचवटी में आता है और सोने का मृग बना हुआ मारीच श्रीराम को जंगल में अकेला ले जाता है। सीता के कहने पर लक्ष्मण भी उनकी सहायता के लिए जाता है पीछे से रावण सीता के पास एक भिक्षुक बन कर आता है और सीता का अपहरण कर लेता है। रामलीला में कई प्रसंगों का मंचन किया गया। वहीं भरतमिलाप देखकर दर्शक हो भाव विभोर हो गए।
ट्रस्ट के प्रमोद बंसल,सुदर्शन भाई,सज्जन मित्तल, कैलाश खेमका,आदि ने गणमान्य नागरिक का दुप्पटा से स्वागत किया।
2 अक्टूबर रविवार को होनेवाले लीला प्रसंग
रामलीला में 2 अक्टूबर रविवार को सुग्रीव मित्रता, बाली वध, लंका दहन, शबरी पुन: जन्म कथा की लीला का मंचन होगा।