प्रादेशिकशिक्षा-रोजगार

आंचलिकता के मर्मज्ञ मार्कंडेय पुस्तक का लोकार्पण संपन्न

मुंबई। आयुर्वेद मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल, नालासोपारा एवं हिंदी प्रचार और शोध संस्था भाईंदर के संयुक्त तत्वावधान में डॉ.चंद्रभूषण शुक्ल की पुस्तक आंचलिकता के मर्मज्ञ मार्कंडेय का लोकार्पण समारोह आयुर्वेद मेडिकल कॉलेज के सभागार में डॉ.सुधाकर मिश्र की अध्यक्षता में आयोजित किया गया। डॉ.ओमप्रकाश दुबे के संयोजन में श्रीमती प्रीति शुक्ला ने गणेश वंदना और अवधेश विश्वकर्मा ने मां सरस्वती की वंदना किया। लोकार्पण समारोह के अध्यक्ष डॉ.सुधाकर मिश्र ने दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का विधिवत उद्घाटन किया। संस्था के अध्यक्ष डॉ.जयप्रकाश दुबे ने सभी अतिथियों का सम्मान शाल,श्रीफल,रामनामी अंगवस्त्र और पुष्प गुच्छ देकर किया।

लोकार्पण समारोह के अध्यक्ष डॉ.सुधाकर मिश्र ने लोकार्पण के अवसर पर डॉ. चन्द्र भूषण शुक्ल को मार्कंडेय पर बेहतरीन शोधकार्य के लिए आशीर्वाद देते हुए और परिश्रम करने का सुझाव दिया। मुख्य अतिथि डॉ.सतीश पांडेय पूर्व उपप्राचार्य एवं अध्यक्ष हिन्दी-विभाग सोमय्या कालेज ने आशीर्वचन देते हुए कहा कि डॉ.चंद्रभूषण ने मार्कंडेय पर विशेष कार्य किया है। मार्कंडेय को अच्छी तरह जानने के लिए आंचलिकता के मर्मज्ञ मार्कंडेय उपयोगी ग्रंथ है। डॉ.चन्द्रभूषण शुक्ल कि पहली पुस्तक है और मेहनत की आवश्यकता है।

विशेष अतिथि प्रो.डॉ.शीतला प्रसाद दुबे पूर्व अध्यक्ष हिन्दी-विभाग के.सी. कालेज ने कहा कि प्रयागराज साहित्यिक और राजनैतिक आन्दोलनों का केंद्र रहा है। कथाकार मार्कंडेय नयी कहानी आंदोलन के लिए मजबूत जमीन तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह किया है।कथाकार मार्कंडेय लोगों को अपने जैसा बना लेते थे। प्रमुख वक्ता डॉ.अवनीश सिंह डालमिया कालेज ने आंचलिकता के मर्मज्ञ मार्कंडेय के जीवन मूल्यों और साहित्यिक अवदान पर विशेष ध्यान आकर्षित किया।

कार्यक्रम का संचालन करते हुए डॉ.उमेश चन्द्र शुक्ल अध्यक्ष, हिन्दी-विभाग महर्षि दयानंद कॉलेज परेल ने कहा कि मार्कंडेय के कथा साहित्य को पढ़ना पूरे अवध प्रांत को समझना है। मार्कंडेय का कथा साहित्य आजादी के बाद के भारत का जीवंत दस्तावेज है। जिसमें सम्पूर्ण भारत दिखाई पड़ता है। कथाकार मार्कंडेय के वंश वृक्ष की तलाश और पीढीयों तक खोजबीन विशेष कार्य है। गूलरा के बाबा कहानी से लेकर अग्निबीज उपन्यास की कथा वस्तु यथार्थ जीवन की घटनाएं है।

इस अवसर पर मार्कंडेय सिंह के भतीजे रोहित सिंह का शाल श्रीफल रामनामी अंगवस्त्र और पुष्प गुच्छ से सम्मान किया गया। कार्यक्रम के संयोजक डॉ ओमप्रकाश दुबे एवं डॉ.शिवनारायण दुबे ने डॉ. चंद्रभूषण शुक्ल को आशीर्वाद दिया। कार्यक्रम के संयोजक डॉ.ओमप्रकाश दुबे ने सभी अतिथियों के प्रति आभार व्यक्त किया।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button